उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 के नतीजों के बाद सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अब हर जिले में बहुमत हासिल करने की रणनीति पर पूरी ताकत झोंक दी है। खासकर निर्दलीय विजेताओं को साधने के लिए सत्ताधारी पार्टी हर स्तर पर प्रयास कर रही है।
🔹 उत्तरकाशी के 20 जिला पंचायत सदस्य पहुंचे मुख्यमंत्री आवास
सोमवार को उत्तरकाशी के 20 जिला पंचायत सदस्यों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। इससे पहले रुद्रप्रयाग में भी इसी तरह की बैठकें हुई थीं। इन मुलाकातों का मुख्य उद्देश्य निर्दलीयों का समर्थन हासिल करना और जिलों में भाजपा का बहुमत सुनिश्चित करना है।
🔹 बीजेपी की रणनीति: सभी 12 जिलों में वर्चस्व बनाने की कोशिश
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भाजपा का लक्ष्य सभी 12 जिलों में जिला पंचायत पर नियंत्रण स्थापित करना है।
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पिछली बार 12 में से 10 जिलों में भाजपा बोर्ड बनाने में सफल रही थी।
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इस बार पार्टी ने पूरे राज्य में जीत का लक्ष्य तय किया है।
क्या हो रहा है:
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विजयी प्रत्याशियों को संगठित किया जा रहा है।
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निर्दलीयों को पार्टी के पक्ष में लाने की रणनीति पर काम हो रहा है।
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मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को जिलावार जिम्मेदारी दी गई है।
🔹 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण की प्रक्रिया भी जारी
इस बीच, जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण को लेकर भी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। कई जिलों में आरक्षण को लेकर आपत्तियां भी सामने आई हैं, जिनका समाधान जल्द किया जाएगा।
🔹 मुख्यमंत्री दरबार बना राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र
सीएम आवास इन दिनों जिला पंचायत राजनीति का मुख्य केंद्र बन गया है। हर दिन पार्टी नेता और नवनिर्वाचित सदस्य यहां मुलाकातें कर रहे हैं। देहरादून समेत अन्य जिलों में भी विशेष रणनीति के तहत समर्थन जुटाने की कवायद चल रही है।
🔹 वरिष्ठ नेताओं की नजर हर चाल पर
जिला पंचायत चुनावों को भाजपा ने शतरंज की बिसात की तरह लिया है। हर मोहरे पर पार्टी की नजर है और वरिष्ठ नेताओं द्वारा प्रतिदिन समीक्षाएं की जा रही हैं।
भाजपा का मानना है कि यदि वह सभी जिलों में बहुमत हासिल कर लेती है, तो इससे प्रदेश स्तर पर पंचायतों में बेहतर समन्वय और विकास कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी।
🔹 निष्कर्ष
उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 के परिणाम आने के बाद अब असली सियासी लड़ाई शुरू हो चुकी है। भाजपा हर स्तर पर रणनीतिक मोर्चेबंदी कर रही है ताकि वह सभी जिलों में अपना वर्चस्व स्थापित कर सके। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा कितनी सफल होती है और क्या वह निर्दलीयों को अपने पाले में लाने में कामयाब हो पाती है या नहीं।