उमाशंकर सिंह उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से बसपा के एक प्रभावशाली विधायक हैं। उनका नाम हाल ही में राजनीतिक सियासत और विवादों में खूब चर्चा में रहा है। इस लेख में हम उमाशंकर सिंह की राजनीतिक यात्रा, उनके सियासी प्रभाव और हालिया मुद्दों पर गहराई से चर्चा करेंगे।
उमाशंकर सिंह कौन हैं?
उमाशंकर सिंह बलिया के रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से बसपा के इकलौते विधायक हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। वे एक समय सफल ठेकेदार रहे हैं और पीडब्ल्यूडी विभाग में उनके गहरे संबंध माने जाते हैं। राजनीतिक गलियारों में उनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि सरकार चाहे जो भी हो, वे अपने प्रभाव से काम करवा लेते हैं।
सियासी विवाद और योगी सरकार के साथ तनातनी
हाल के दिनों में उमाशंकर सिंह ने योगी सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। 5 जुलाई को दयाशंकर सिंह का एक अधिकारी के साथ विवाद हुआ, जिसमें पुल के अचानक खोल दिए जाने को लेकर तनाव बढ़ा। इस मामले में उमाशंकर सिंह ने भी मोर्चा खोल दिया।
दयाशंकर सिंह ने जवाब में कहा कि वे उमाशंकर सिंह की पोल खोल देंगे और उनका कोई मुंह दिखाने लायक नहीं बचेगा। इस बयान के बाद दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई और तेज हो गई है।
पीडब्ल्यूडी विभाग में प्रभाव
उमाशंकर सिंह का पीडब्ल्यूडी विभाग में खासा प्रभाव माना जाता है। उनका ठेकेदारी का पिछला अनुभव इस संबंध को मजबूत करता है। कहा जाता है कि चाहे सरकार कोई भी हो, पीडब्ल्यूडी में उनकी सुनवाई होती है। उनका परिवार भी अभी तक इस विभाग से जुड़े ठेकेदारी कामों में सक्रिय है।
सियासी रिश्ते और मायावती से नजदीकियां
उमाशंकर सिंह मायावती के बेहद करीबी नेता माने जाते हैं। 2023 में जब मायावती उनसे मिलने उनके घर पहुंचीं, तो यह मुलाकात राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण थी। बसपा में आंतरिक उथल-पुथल के बीच मायावती ने उमाशंकर सिंह पर भरोसा जताया है।
उनके बेटे की शादी योगी सरकार के एक मंत्री की बेटी से हुई थी, जो उनके राजनीतिक रिश्तों को और मजबूत करती है।
स्वास्थ्य समस्याएं और हाल की स्थिति
पिछले डेढ़ साल से उमाशंकर सिंह एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्हें ब्रेन ट्यूमर की समस्या है, जिसके इलाज के लिए वे दिल्ली और अमेरिका तक गए। इसके बावजूद वे अपने राजनीतिक कामों में सक्रिय बने हुए हैं।
निष्कर्ष
उमाशंकर सिंह बलिया की राजनीति में एक अहम नाम हैं। उनका सियासी प्रभाव, विवाद और मजबूत राजनीतिक संबंध उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाते हैं। आने वाले समय में उनके कदम और राजनीति की दिशा प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करेगी।