तमिलनाडु ग्रेनाइट घोटाला भारत के खनन इतिहास में एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला है, जिसमें मदुरै के खनन क्षेत्र से जुड़े कई बड़े खुलासे सामने आए। इस घोटाले की तह तक पहुंचने वाला आईएएस अधिकारी यू सगम था, जिन्होंने मदुरै खनन घोटाला और ग्रेनाइट खनन भ्रष्टाचार की गंभीर जांच की। इस लेख में हम यू सगम की जांच, उनके सामने आई चुनौतियां और तमिलनाडु में चल रहे खनन भ्रष्टाचार की पूरी कहानी विस्तार से जानेंगे।
मदुरै खनन घोटाला: सेवर कोडियन की चौंकाने वाली शिकायत
साल 2004 में मदुरै जिले के ट्रक ड्राइवर सेवर कोडियन ने पुलिस को एक गंभीर शिकायत दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पीआरपी ग्रेनाइट्स के संचालक मानव बलि कर रहे हैं। सेवर कोडियन ने बताया कि 1999 में उन्हें एक आदेश मिला था कि मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को पकड़ कर खदान पर लाया जाए। उन्होंने 11 पुरुष और एक महिला को मददुरै पहुंचाया, जिनमें से दो की हत्या कर दी गई और बाकी के बारे में भी आशंका जताई गई।
यू सगम की नियुक्ति और खनन घोटाले की जांच
11 साल बाद, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के अवैध खनन की जांच के लिए यू सगम को लीगल कमिश्नर नियुक्त किया। उन्होंने खुदाई कर छह नर कंकाल बरामद किए, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया। जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि ये हड्डियां मानव की थीं या जानवर की। हालांकि, इस मामले में पीआरपी कंपनी और अन्य खदान मालिकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिए गए।
यू सगम: भ्रष्टाचार के खिलाफ सशक्त आवाज
यू सगम 2001 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने तमिलनाडु में भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों के खिलाफ कई अहम कदम उठाए। उनके करियर में पेप्सी के खराब उत्पाद पर सख्त कार्रवाई और अवैध घरेलू गैस सिलेंडर जब्त करना शामिल है। मदुरै में कलेक्टर रहते हुए, उन्होंने 2012 में अवैध ग्रेनाइट खनन का भंडाफोड़ किया, जिससे सरकार को करीब 65,000 करोड़ रुपए का नुकसान होने का खुलासा हुआ।
तमिलनाडु ग्रेनाइट घोटाला: जांच की मुख्य बातें
-
अवैध खनन: कई कंपनियां नियमों के बिना ग्रेनाइट खनन कर रही थीं।
-
सरकारी नुकसान: 65,000 करोड़ से अधिक का अनुमानित नुकसान।
-
लंबित मामले: इस घोटाले से जुड़े कई मामले अभी भी कोर्ट में चल रहे हैं।
-
उच्च पदस्थ अधिकारियों की संलिप्तता: कुछ बड़े खदान मालिक और सरकारी अधिकारी भी आरोपित।
जांच के बाद यू सगम की चुनौतियां
घोटाले की रिपोर्ट के बाद यू सगम को मददुरै से हटाकर अन्य पदों पर तैनात किया गया। उनकी सुरक्षा में भी कमी आई, जिससे उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस होने लगा। 2020 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और अब भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं।
निष्कर्ष
तमिलनाडु ग्रेनाइट घोटाला और मदुरै खनन भ्रष्टाचार की जांच ने दिखाया कि भ्रष्टाचार से लड़ने वाले अधिकारी कितनी मुश्किलों का सामना करते हैं। यू सगम की बहादुरी और ईमानदारी ने एक बड़ा भ्रष्टाचार केस उजागर किया, लेकिन उनकी सुरक्षा और समर्थन की कमी एक गंभीर चिंता का विषय है।