प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चीन के तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं। यह यात्रा कई मायनों में खास है क्योंकि यह गालवान घाटी में 2020 की हिंसक झड़प के बाद पहली बार होगी जब भारत के प्रधानमंत्री आधिकारिक रूप से चीन की धरती पर कदम रखेंगे।
🕊️ भारत-चीन संबंधों में नरमी के संकेत
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पीएम मोदी की आखिरी चीन यात्रा 2019 में हुई थी।
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हालांकि अक्टूबर 2024 में कज़ान में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी।
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इस यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
🌏 वैश्विक दबाव और भारत की रणनीति
इस यात्रा की पृष्ठभूमि में कुछ अहम अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम भी हैं:
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर कड़े टैरिफ लगाए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ा है।
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अमेरिका की ओर से रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर दबाव भी जारी है।
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ऐसे माहौल में चीन के साथ संबंधों में संतुलन बनाना भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम हो गया है।
⚔️ पाकिस्तान, SCO और पहलगाम हमला
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भारत की यह भागीदारी उस वक्त हो रही है जब चीन लगातार पाकिस्तान का समर्थन करता आ रहा है।
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22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए थे) को लेकर भी SCO में विवाद रहा।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जून में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था क्योंकि उसमें पहलगाम हमले का कोई जिक्र नहीं था।
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इसके बजाय बलूचिस्तान का उल्लेख किया गया था, जो भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाने जैसा था।
🇨🇳 चीन का बयान: आतंकवाद पर कड़ा रुख
जुलाई में चीन ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा बयान जारी किया था, जब अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन “द रेसिस्टेंस फ्रंट” को आतंकी संगठन घोषित किया था।
“चीन आतंकवाद के हर रूप का विरोध करता है और 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता है। हम क्षेत्रीय देशों से आग्रह करते हैं कि वे आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाएं और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखें।”
— लिन जियान, प्रवक्ता, चीनी विदेश मंत्रालय
🤝 बाइलेटरल मीटिंग्स की संभावना
SCO समिट के दौरान पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता होने की संभावना है।
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पिछले साल कज़ान में हुई BRICS बैठक के बाद भारत-चीन सीमा विवाद को कम करने के प्रयास तेज हुए थे।
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कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया गया था, जिसे दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का प्रतीक माना गया।
🛡️ SCO क्या है?
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शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना 2001 में हुई थी।
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इसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देना है।
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वर्तमान में SCO के 10 सदस्य देश हैं:
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भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाखस्तान।
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📌 क्या उम्मीद की जा रही है इस समिट से?
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आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा मुख्य एजेंडे में रहेंगे।
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व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, और सांस्कृतिक सहयोग जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है।
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यह यात्रा भारत और चीन के बीच संबंधों को स्थिरता देने और संवाद बहाल करने का मौका हो सकती है।
📚 निष्कर्ष: एक नया अध्याय?
गालवान संघर्ष के बाद से भारत और चीन के रिश्तों में जो दूरी आई थी, यह यात्रा उसे पाटने की दिशा में एक बड़ा कूटनीतिक कदम हो सकती है। SCO जैसे मंच का उपयोग कर भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को मजबूती देने, और अमेरिका-चीन के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है।