बिहार की राजनीति का दिल सिर्फ विधानसभा में नहीं, बल्कि पटना के एक खास मार्केट में भी धड़कता है। यहां की पहचान सिर्फ कपड़ों से नहीं, बल्कि नेताओं को ‘दो घंटे में कुर्ता पहनाकर’ मंच पर उतारने से है। यही वजह है कि इस जगह को लोग मज़ाक में कहते हैं – “यहां जनता वोट से नेता बनाती है और हम कुर्ते से।”
50 साल पुरानी पटना कुर्ता मार्केट की पहचान
पटना में पार्टी ऑफिसों के ठीक बाहर एक लंबी लाइन में फैली यह मार्केट करीब 300–400 मीटर में फैली है। यहां 35–40 दर्जी और दुकानदार हैं, जो पिछले 40–50 सालों से नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए कुर्ते सिल रहे हैं।
यहां सभी राजनीतिक दलों के रंग – सफेद, भगवा, हरा, लाल, पीला – आसानी से मिल जाते हैं। दुकानदार कहते हैं,
“हमारे लिए हर ग्राहक भगवान है – चाहे वो बीजेपी हो, जेडीयू हो, आरजेडी हो या माले।”
यहां से कपड़े सिलवाने वाले बड़े नेता
इस मार्केट से कुर्ता सिलवाने वालों में लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, कर्पूरी ठाकुर जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं। हाल के वर्षों में सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, तेज प्रताप यादव, भाई वीरेंद्र और कई विधायक-सांसद यहां से कपड़े बनवाते हैं।
कई दुकानदारों के पास नेताओं के घर जाकर नाप लेने और कपड़े सिलकर पहुंचाने की पुरानी परंपरा है। लालू यादव के अस्वस्थ होने के बाद भी उनके लिए घर जाकर कपड़े तैयार किए जाते हैं।
2 घंटे में तैयार हो जाता है ‘नेता वाला कुर्ता’
यहां की सबसे बड़ी खासियत है – स्पीड।
जहां आम बाजार में ऑर्डर पूरा होने में 2–3 दिन लगते हैं, यहां सिर्फ 1.5 से 2 घंटे में कुर्ता तैयार हो जाता है।
कारीगर बताते हैं –
“ग्राहक को देखते ही हम अंदाज़ा लगा लेते हैं कि सीना, लंबाई, पेट कितना है… बस नाप लिया और दो घंटे में कुर्ता सिलकर दे दिया।”
राजनीति से जुड़ी कहानियां और यादें
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एक समय पर नीतीश कुमार यहां के पास की लिट्टी दुकान में बैठते थे, अब 20 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं।
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कई नेता यहां से कुर्ता पहनकर राजनीति में आए, लेकिन सत्ता में पहुंचने के बाद इस जगह को भूल गए।
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यहां फैशन ट्रेंड भी बदलते रहे – पहले बंडी और हाफ कुर्ता, अब मोदी-स्टाइल कफ वाला कुर्ता चलन में है।
कारीगरों की चुनौतियां – 50 साल से फुटपाथ पर कारोबार
हालांकि यह मार्केट राजनीतिक फैशन की पहचान है, लेकिन इसकी अपनी समस्याएं हैं:
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स्थाई दुकान नहीं – फुटपाथ पर अस्थायी ढांचा
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अतिक्रमण अभियान में कई बार दुकानें हटाई गईं
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शौचालय और पानी की कमी
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बारिश में घुटनों तक पानी भरना
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सरकार से स्थाई मंडी की मांग वर्षों से लंबित
दुकानदार कहते हैं –
“हम शुल्क देने को तैयार हैं, बस एक स्थाई जगह दी जाए। अभी बीच-बीच में फाइन और सामान का नुकसान हमें भारी पड़ता है।”
चुनावी मौसम में बढ़ी रौनक
जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आते हैं, यहां ग्राहकों की भीड़ बढ़ जाती है। कार्यकर्ता और नेता अपने दल के रंग में कुर्ता बनवाने आते हैं। भाजपा, आरजेडी, जेडीयू – सभी पार्टियों के ऑर्डर एक साथ पूरे किए जाते हैं।
दुकानदारों का मानना है कि इस बार बिहार की राजनीति में थोड़ा बदलाव संभव है, हालांकि नीतीश कुमार के विकास कार्यों को वे मान्यता भी देते हैं।
क्यों खास है पटना का कुर्ता मार्केट?
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राजनीतिक केंद्र के पास स्थित
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सस्ता और तेज़ सिलाई का वादा
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सभी पार्टियों और जातियों का स्वागत
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नेताओं और कार्यकर्ताओं की यादों से जुड़ा स्थान
यह जगह सिर्फ कपड़ा मार्केट नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति का अनकहा इतिहास भी समेटे हुए है।