सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने IIT मद्रास में ऑपरेशन सिंदू

सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने IIT मद्रास में ऑपरेशन सिंदूर की कहानी बताई

भारत-पाक तनाव 2025 के बीच, ऑपरेशन सिंदूर ने देश की सैन्य रणनीति और प्रतिक्रिया की दिशा तय की। सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में IIT मद्रास में इस ऑपरेशन की रणनीति, पाकिस्तान की जीत के दावे, और प्रभावशाली ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के बीच की घटनाओं पर विस्तार से चर्चा की। इस लेख में हम सेना प्रमुख के विचारों और भारत की रणनीतिक सफलता पर एक नजर डालेंगे।


ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जबरदस्त सैन्य प्रतिक्रिया

सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर, जो अप्रैल 2025 में पाकिस्तान-आधारित आतंकवादियों के खिलाफ की गई, भारतीय सेना की नयी रणनीति और संकल्प का प्रतीक है। यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे।


पाकिस्तान के “जीत” के दावे और कथानक प्रबंधन

सेना प्रमुख ने पाकिस्तान की कथित जीत के दावे का खंडन करते हुए बताया कि यह केवल एक मनोवैज्ञानिक युद्ध है, जिसे “कथानक प्रबंधन” (Narrative Management) कहा जाता है। उन्होंने कहा:

“विजय दिमाग में होती है। अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछेंगे कि वे हार गए या जीते, तो वह कहेगा कि उनका सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल बन गया है, तो इसका मतलब हमने जीत हासिल की।”

इस प्रकार, पाकिस्तान ने अपनी जनता और विश्व को भ्रमित करने के लिए रणनीतिक संदेश का सहारा लिया।


भारतीय सेना का रणनीतिक संदेश

भारतीय सेना ने सोशल मीडिया और प्रेस वार्ताओं के माध्यम से जनता तक सटीक और प्रभावी संदेश पहुंचाया। सेना प्रमुख ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान:

  • भारतीय सेना और वायु सेना की महिला अधिकारियों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई।

  • एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक एनसीओ ने इस रणनीतिक संदेश का लोगो तैयार किया।

  • यह संदेश वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा देखा गया।

इस प्रकार, भारत ने न केवल सैन्य बल्कि सूचना के क्षेत्र में भी पाकिस्तान को परास्त किया।


ऑपरेशन सिंदूर में नई सैन्य रणनीति और ‘ग्रे जोन’ युद्ध

सेना प्रमुख ने ऑपरेशन सिंदूर को शतरंज की खेल से तुलना करते हुए बताया कि इस युद्ध में पारंपरिक लड़ाई से हटकर ‘ग्रे जोन’ रणनीति अपनाई गई। इसका मतलब है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के कदमों को सोच-समझकर आगे बढ़ा रहे थे।

“हमने शतरंज खेली, न कि पारंपरिक युद्ध। कई बार हमने चेकमेट दिया, कई बार खतरा उठाया, पर यही जीवन का हिस्सा है।”


राजनीतिक इच्छाशक्ति और सेना को मिला पूर्ण समर्थन

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में राजनीतिक नेतृत्व का स्पष्ट और मजबूत समर्थन भी अहम था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुखों को पूरी आज़ादी दी और कहा:

“अब काफी हो गया, जो करना है करो।”

यह भरोसा और समर्थन सेना के मनोबल को बढ़ाने में सहायक साबित हुआ।


निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक सूझ-बूझ को एक बार फिर साबित किया। सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी के अनुसार, भारत-पाक तनाव 2025 के इस दौर में केवल ताकत से ही नहीं, बल्कि स्मार्ट रणनीति और प्रभावी संवाद से भी विजय सुनिश्चित होती है। पाकिस्तान के कथानक प्रबंधन को ध्वस्त करते हुए भारत ने अपनी जीत को न केवल जमीन पर बल्कि दिमागों में भी स्थापित किया है।


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