लोकसभा में पारित नया आयकर (सं.2) विधेयक 2025 (New I-T Bill 2025) में धार्मिक व धर्मार्थ ट्रस्टों को दिए गए गुमनाम दान पर कर छूट की व्यवस्था बहाल कर दी गई है। साथ ही, TDS रिफंड के लिए आईटीआर दाखिल करने से जुड़ी लचीलापन भी जारी रखा गया है। यह विधेयक मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 के कई प्रावधानों को बरकरार रखते हुए पारित किया गया है।
गुमनाम दान पर कर छूट: धार्मिक व मिश्रित उद्देश्यों वाले ट्रस्टों को राहत
पहले पेश किए गए आयकर विधेयक में गुमनाम दान पर छूट हटा दी गई थी, लेकिन संसदीय चयन समिति की सिफारिशों के बाद इसे फिर से बहाल कर दिया गया है। अब पूरी तरह धार्मिक ट्रस्टों के साथ-साथ मिश्रित उद्देश्यों वाले पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठनों (NPOs) को भी यह छूट मिलेगी।
पहले प्रस्तावित क्लॉज 337 के तहत सभी NPOs पर 30% की फ्लैट टैक्स दर लागू की जानी थी, जिसमें केवल पूरी तरह धार्मिक संस्थाओं को ही छूट थी। अब संशोधन के बाद, आयकर अधिनियम, 1961 के अनुरूप प्रावधान लागू होंगे।
TDS रिफंड प्रक्रिया में बड़ा बदलाव
नए विधेयक में TDS सुधार विवरणी (Correction Statement) दाखिल करने की समय सीमा 6 साल से घटाकर 2 साल कर दी गई है।
CBDT के अनुसार, यह बदलाव करदाताओं की शिकायतों में उल्लेखनीय कमी लाएगा।
साथ ही, ऐसे करदाताओं के लिए भी राहत दी गई है जो समय पर आईटीआर दाखिल नहीं कर पाए हैं। अब वे निर्धारित तिथि के बाद भी TDS रिफंड का दावा कर सकेंगे। इसके लिए धारा 263(1)(ix) को हटा दिया गया है।
NPOs की कराधान पद्धति में बदलाव
चयन समिति ने NPOs की Receipts पर कर लगाने के प्रस्ताव का विरोध किया था और इसे Net Income आधारित कराधान में बदलने की सिफारिश की थी। अब विधेयक में यह संशोधन कर दिया गया है, जिससे केवल वास्तविक आय पर ही कर लगाया जाएगा।
पेशेवरों और डिजिटल भुगतान के लिए नया प्रावधान
आयकर (सं.2) विधेयक 2025 के क्लॉज 187 में “Profession” शब्द जोड़ा गया है। इसका लाभ उन पेशेवरों को मिलेगा जिनकी वार्षिक प्राप्तियां ₹50 करोड़ से अधिक हैं। ऐसे पेशेवर अब निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान विधियों का उपयोग कर सकेंगे।
अन्य प्रमुख संशोधन
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यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के सब्सक्राइबर्स को कर छूट
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आयकर तलाशी मामलों में ब्लॉक असेसमेंट प्रक्रिया में बदलाव
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