नेताजी सुभाष चंद्र बोस मृत्यु रहस्य

3 जांच आयोग, 3 अलग नतीजे: नेताजी बोस की मौत का सच क्या है?

18 अगस्त 1945, ताइहोकू (ताइवान)। एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मारे जाने की खबर आई। लेकिन क्या वाकई नेताजी की मौत हुई थी? या यह एक सोची-समझी साजिश थी?

80 साल बाद भी यह सवाल अनुत्तरित है। कई जांच आयोग बने, सैकड़ों गवाहों ने बयान दिए, लेकिन सच्चाई आज भी धुंधली है। क्या नेताजी रूस भाग गए? क्या वे “गुमनामी बाबा” बनकर जीवित रहे? आइए, इस रहस्यमय घटना की पड़ताल करते हैं।


वह अंतिम दिन: 18 अगस्त 1945

  • सुबह: नेताजी ताइहोकू हवाई अड्डे पर पहुंचे। विमान में उनके साथ थे कर्नल हबीब उर रहमान और जापानी अधिकारी।

  • दोपहर 2 बजे: विमान ने ईंधन भरने के लिए लैंड किया।

  • उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद: एक भीषण धमाका हुआ। विमान आग की लपटों में घिर गया।

  • अस्पताल में मृत्यु: नेताजी को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां शाम तक उनकी मौत हो गई।

लेकिन…

  • कोई मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला।

  • शव कभी भारत नहीं लाया गया।

  • जापानी रिकॉर्ड में विसंगतियां।


क्या विमान हादसा वाकई हुआ था?

संदेह के कारण:

  1. कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं: ताइहोकू एयरपोर्ट पर उस दिन किसी विमान हादसे का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं मिला।

  2. अस्थियों पर विवाद: टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियों का डीएनए टेस्ट नहीं हुआ।

  3. गवाहों के बयानों में अंतर: कर्नल रहमान ने बाद में अपने बयान बदले।

षड्यंत्र सिद्धांत:

  • रूस भागने की अफवाह: कुछ का मानना है कि नेताजी सोवियत संघ चले गए।

  • गुमनामी बाबा कनेक्शन: फैजाबाद के एक साधु को नेताजी बताया गया।

  • अंग्रेजों की साजिश: क्या ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को गायब करवाया?


जांच आयोग और उनके निष्कर्ष

आयोग निष्कर्ष
शाहनवाज समिति (1956) “नेताजी की मौत विमान हादसे में हुई।”
खोसला आयोग (1970) “कोई ठोस सबूत नहीं कि नेताजी बच गए।”
मुखर्जी आयोग (2005) “विमान हादसा नहीं हुआ! नेताजी की मौत का कोई प्रमाण नहीं।”

लेकिन…

  • 2006 में संसद ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट खारिज कर दी।

  • आज भी अस्थियां जापान में ही हैं।


क्या नेताजी जिंदा थे?

  • 1950-60 के दशक में कई “नेताजी” दिखे:

    • सोलमारी बाबा (पश्चिम बंगाल)

    • गुमनामी बाबा (फैजाबाद) – कुछ लोगों ने दावा किया कि वे नेताजी थे।

  • पत्रकार अल्फ्रेड वैग का दावा (1945): “मैंने सुभाष को साइगॉन में देखा!”

  • नेहरू-गांधी को शक: गांधी जी ने कहा था, “अभी श्राद्ध न करें।”


आखिरी सवाल: क्या सच सामने आएगा?

  • अस्थियों का डीएनए टेस्ट क्यों नहीं?

  • क्या ब्रिटिश/रूसी फाइलें छिपाई गईं?

  • क्या नेताजी वाकई भारत लौटे थे?

एक बात तय है: नेताजी की मृत्यु का रहस्य भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा अनसुलझा पहेली बना हुआ है।

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