क्या आप जानते हैं कि भारत में 1 करोड़ सालाना कमाने वाले लोगों की संख्या सिर्फ छह साल में लगभग तीन गुना बढ़ गई है? Hurun India Wealth Report 2025 इस बढ़ोतरी का विश्लेषण करती है और साथ ही यह भी बताती है कि धन का वितरण अब भी बेहद असमान है। आइए, इस रिपोर्ट के अहम निष्कर्षों और उनके अर्थ को विस्तार से समझें।
1. 1 करोड़ सालाना क्लब: आंकड़े और रुझान
Hurun Wealth Report 2025 के अनुसार:
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AY 2017–18: लगभग 81,000 ITR फाइलर्स ने 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक आय घोषित की।
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AY 2023–24: यह संख्या बढ़कर लगभग 2.27 लाख हो गई।
यह तेज़ी भारत की आर्थिक वृद्धि, शेयर बाजार में मजबूती और उद्यमिता के बढ़ते अवसरों को दर्शाती है।
विशेषज्ञ दृष्टिकोण:
Dr. Ramesh Menon, वित्तीय विश्लेषक, कहते हैं:
“भारत में टैक्स बेस तेजी से बढ़ रहा है, और करोड़पतियों की संख्या बढ़ने का मतलब केवल समृद्धि नहीं, बल्कि टैक्स प्रशासन में सुधार और अधिक लोगों का फॉर्मल इकॉनमी में शामिल होना भी है।”
टैक्सपेयर्स पिरामिड: क्यों केवल कुछ ही पहुंच पाते हैं ऊंचाई तक?
Hurun रिपोर्ट बताती है कि उच्च आय वाले लोगों की संख्या तेजी से कम होती जाती है जैसे-जैसे हम आय की श्रेणी ऊपर जाते हैं।
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करोड़पति बनना अब पहले से आसान है।
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5 करोड़ से अधिक आय दिखाने वालों की संख्या बहुत कम है।
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अरबपति (billionaire) बनने वालों की संख्या बेहद सीमित है।
डेटा से समझें:
नेटवर्थ | प्रतिशत मिलियनेयर में |
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₹1,000 करोड़+ | 0.07% |
अरबपति | 0.01% |
यानी लाखों लोग करोड़पति बन सकते हैं, लेकिन अल्ट्रा-रिच क्लब तक पहुंचना अब भी चुनिंदा लोगों के लिए है।
भारत में मिलियनेयर की संख्या और वैश्विक तुलना
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भारत में अब 8.71 लाख मिलियनेयर (households) हैं, जिनकी नेटवर्थ ₹8.5 करोड़+ है।
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2021 के मुकाबले यह 90% की बढ़ोतरी है।
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वैश्विक तुलना में, भारत की मिलियनेयर जनसंख्या बढ़ने की रफ्तार दुनिया में सबसे तेज़ में शामिल है।
अनुभव आधारित insight:
एक वित्तीय सलाहकार के अनुसार, “यह बढ़ोतरी केवल शेयर बाजार या व्यवसाय में सफलता का संकेत नहीं है, बल्कि रियल एस्टेट, डिजिटल निवेश और स्टार्टअप इक्विटी के माध्यम से संपत्ति बनाने के नए रास्तों को भी दर्शाती है।”
समृद्धि और असमानता: क्या नीति को संतुलन चाहिए?
Hurun रिपोर्ट से स्पष्ट है कि:
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समृद्धि का विस्तार: अधिक भारतीय अब करोड़ों की आय दिखा रहे हैं।
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धन का संकेंद्रण: अल्ट्रा-रिच वर्ग अब भी बेहद छोटा और विशेष है।
नीति पर असर:
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टैक्स नीति में बदलाव की आवश्यकता है ताकि वृद्धि व्यापक रूप से लाभकारी हो।
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वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन और लग्ज़री कंजंप्शन के ट्रेंड्स पर भी प्रभाव पड़ेगा।
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Inclusive economic growth के लिए विशेष उपाय जरूरी हैं।
विशेषज्ञों का नजरिया
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SEBI और RBI की रिपोर्टों के मुताबिक, उच्च नेटवर्थ परिवारों का निवेश पैटर्न शेयर मार्केट, रियल एस्टेट और ग्लोबल एसेट्स में केंद्रित है।
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आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि मध्यम वर्ग के लिए वित्तीय साक्षरता बढ़ाना और निवेश के नए विकल्प देना जरूरी है।
निष्कर्ष और Takeaway
Hurun India Wealth Report 2025 बताती है कि:
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भारत में 1 करोड़ सालाना कमाने वाले लोग तेजी से बढ़ रहे हैं, और करोड़पति बनने का सपना अब सुलभ है।
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लेकिन अल्ट्रा-रिच वर्ग तक पहुंचना अभी भी बेहद मुश्किल है।
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नीति निर्माता और निवेशक दोनों के लिए यह संकेत है कि विकास को संतुलित और समावेशी बनाना आज की आवश्यकता है।
Takeaway:
यदि आप सोच रहे हैं कि भारत अब करोड़पतियों का देश बन रहा है, तो हां, यह सच है। लेकिन असली चुनौती है—समृद्धि को सभी तक पहुँचाना और ऊपरी आय वर्ग और मध्यम वर्ग के बीच की खाई को कम करना।