मुख्य द्वार (Main Gate) हर घर की पहचान और ऊर्जा का प्रमुख स्रोत माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का दरवाज़ा केवल प्रवेश का माध्यम ही नहीं होता, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य और धन का मार्ग भी बनाता है। इसलिए मुख्य द्वार की सजावट और दिशा का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।
मुख्य द्वार की दिशा का महत्व
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उत्तर और पूर्व दिशा: वास्तु शास्त्र में इन्हें सबसे शुभ दिशा माना जाता है। इन दिशाओं से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
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दक्षिण दिशा: यदि मुख्य द्वार दक्षिण में है तो दरवाज़े के रंग और सजावट पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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पश्चिम दिशा: यह दिशा भी धन और अवसर लाती है, बशर्ते दरवाज़े की सजावट वास्तु अनुसार हो।
मुख्य द्वार की सजावट के वास्तु नियम
1. दरवाज़े का रंग
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उत्तर दिशा – हल्का नीला या हरा रंग शुभ माना जाता है।
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पूर्व दिशा – हल्का पीला, क्रीम या सफेद रंग उपयोग करें।
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दक्षिण दिशा – लाल या भूरा रंग सकारात्मकता लाता है।
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पश्चिम दिशा – सुनहरा, सफेद या ग्रे रंग उपयुक्त है।
2. शुभ चिह्न और तोरण
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दरवाज़े पर स्वस्तिक, ॐ, श्री जैसे चिह्न बनाएँ।
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आम के पत्तों या बंदनवार (तोरण) से द्वार सजाना शुभ माना जाता है।
3. नामपट्टिका (नेमप्लेट)
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साफ-सुथरी और आकर्षक नेमप्लेट सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
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इसे लकड़ी, धातु या ऐक्रेलिक में साफ अक्षरों से बनवाएँ।
4. रोशनी की व्यवस्था
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मुख्य द्वार पर पर्याप्त प्रकाश होना चाहिए।
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पीली या गर्म रोशनी शुभ मानी जाती है।
5. साफ-सफाई और सजावट
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दरवाज़े के आस-पास गंदगी, टूटे जूते या कचरा न रखें।
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ताज़े फूलों की माला और रंगोली सकारात्मक ऊर्जा लाती है।
मुख्य द्वार पर क्या न करें?
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दरवाज़े के सामने कूड़ादान या बाथरूम न बनवाएँ।
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दरवाज़े पर टूटी-फूटी सजावट न लगाएँ।
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दरवाज़ा खोलते समय आवाज़ न करे, इसे हमेशा स्मूथ रखें।
निष्कर्ष
मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि इसे सही दिशा, रंग और शुभ सजावट के साथ तैयार किया जाए तो घर में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसलिए घर के मुख्य द्वार को केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि वास्तु सिद्धांतों के अनुसार सजाना चाहिए।