मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) को “पीतल नगरी” कहा जाता है। यहां के कारीगरों की कला ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। हाल के दिनों में यहां बने पीतल के शिवलिंग की मांग काफी बढ़ गई है। हाथों से बने ये शिवलिंग सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं बल्कि भारतीय कारीगरी की अनमोल धरोहर भी हैं। आइए जानते हैं इनकी खासियत और क्यों विदेशों में भी इनकी डिमांड दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
पीतल से बनी अनूठी कला
मुरादाबाद के स्थानीय कारीगर पीढ़ियों से पीतल पर बारीक नक़्क़ाशी और मूर्तियां बनाने के लिए मशहूर हैं।
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यहां बनाए जाने वाले शिवलिंग पीतल से ढाले जाते हैं।
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शिवलिंग के ऊपर जो पत्थर जड़ा जाता है, वह मध्य प्रदेश की ओंकारेश्वर नदी से लाया जाता है।
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अलग-अलग आकार और साइज में तैयार ये शिवलिंग बेहद आकर्षक और टिकाऊ होते हैं।
कीमत और उपलब्धता
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छोटे आकार के शिवलिंग की कीमत सिर्फ ₹20 से शुरू होती है।
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बड़े आकार, विशेष डिज़ाइन और कारीगरी वाले शिवलिंग की कीमत हजारों रुपये तक पहुंच सकती है।
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कस्टमाइज ऑर्डर पर भी कई व्यापारी इन्हें तैयार कराते हैं, जिससे ये धार्मिक आयोजनों और मंदिरों के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय हैं।
विदेशों में भी डिमांड
भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में भी इनकी भारी मांग है।
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सनातन धर्म से जुड़े लोग पूजा-पाठ के लिए इन्हें खरीदते हैं।
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भारतीय कला और संस्कृति को पसंद करने वाले विदेशी लोग भी इन्हें स्मृति चिन्ह (Souvenir) के रूप में लेना पसंद करते हैं।
स्थानीय व्यापारियों की राय
मुरादाबाद के व्यापारी बताते हैं कि शिवलिंग की डिमांड लगातार बढ़ रही है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और निर्यात कंपनियों के माध्यम से यह कारोबार और तेज़ी से फैल रहा है।
निष्कर्ष
मुरादाबाद का पीतल शिवलिंग केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय कारीगरी और संस्कृति का भी शानदार उदाहरण है। सस्ती कीमत से लेकर प्रीमियम डिज़ाइन तक उपलब्ध ये शिवलिंग न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी भारतीय कला की पहचान बन रहे हैं।