मालेगांव ब्लास्ट केस

मालेगांव ब्लास्ट केस अपडेट: 2008 धमाके में अब कोई दोषी नहीं

2008 मालेगांव धमाके ने न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया था। रमजान के पाक महीने में एक मस्जिद के पास हुए इस विस्फोट में 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। अब 17 साल बाद, मुंबई की एनआईए स्पेशल कोर्ट ने इस केस में सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है।

📌 मुख्य बातें संक्षेप में:

  • धमाका 29 सितंबर 2008 को मालेगांव के अंजुमन चौक पर हुआ।

  • छह लोगों की जान गई, जिनमें एक 10 साल की बच्ची भी शामिल थी।

  • साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत 7 आरोपियों पर आरोप।

  • 323 गवाहों के बयान, 17 साल की जांच और 7 साल की ट्रायल के बाद कोर्ट ने सभी को बरी किया।

  • कोर्ट ने कहा, “सिर्फ शक के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती।”

  • पीड़ित अब भी सवाल कर रहे हैं – धमाका हुआ तो किया किसने?


🕯️ 2008 का मालेगांव धमाका: क्या हुआ था उस दिन?

29 सितंबर 2008, रमजान का महीना था। मालेगांव (जिला नासिक, महाराष्ट्र) में अंजुमन चौक स्थित मस्जिद के बाहर शाम 9:35 बजे एक बम विस्फोट हुआ। लोग इफ्तार के बाद बाहर जमा थे। विस्फोट इतना भीषण था कि छह लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक मासूम बच्ची भी थी।

50 से अधिक घायल फरहान अस्पताल में भर्ती हुए। शुरुआती जांच आजाद नगर थाने में हुई, फिर मामला एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) को सौंपा गया।


🎯 जांच की दिशा और पहली गिरफ्तारियां

ATS ने 23 अक्टूबर 2008 को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया। आरोप था कि विस्फोट में इस्तेमाल हुई बाइक एलएमएल फ्रीडम उन्हीं की थी। जांच में ‘अभिनव भारत’ संगठन का नाम सामने आया, जो एक दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी समूह था।

प्रमुख गिरफ्तारियां:

  • साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर

  • कर्नल प्रसाद पुरोहित (मिलिट्री इंटेलिजेंस से)

  • रमेश उपाध्याय

  • अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी, और अन्य

इन पर UAPA, IPC, और Explosives Act जैसी गंभीर धाराएं लगाई गईं।


🧾 कोर्ट का फैसला और उसकी वजहें

31 जुलाई 2025, एनआईए की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बेनिफिट ऑफ डाउट देते हुए बरी कर दिया।

कोर्ट ने कहा:

  • साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं कि बाइक उन्हीं की थी।

  • कर्नल पुरोहित के घर से RDX बरामद होने का कोई प्रमाण नहीं मिला।

  • वॉइस सैंपल जांच नियमों के तहत नहीं हुई।

  • सिर्फ शक के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती।


🗓️ 2008 से 2025 तक की केस टाइमलाइन (मुख्य घटनाएं):

वर्ष घटनाक्रम
2008 धमाका, शुरुआती जांच ATS को सौंपना
2008 साध्वी और अन्य गिरफ्तार
2009 चार्जशीट दाखिल, मकोका लगाया गया
2011 केस NIA को ट्रांसफर
2013 NIA ने नई चार्जशीट में सांप्रदायिक साजिश का आरोप
2016 NIA ने कहा ATS ने गढ़े थे सबूत
2017 कोर्ट ने साध्वी और पुरोहित को जमानत दी
2018 ट्रायल शुरू, 323 गवाह, 34 गवाह मुकर गए
2025 कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया

🧑‍⚖️ प्रसिद्ध नाम और विवादित बयान

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर

  • बीजेपी सांसद बनीं।

  • नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने पर विवाद।

  • हेमंत करकरे को लेकर ‘श्राप’ वाला बयान भी दिया।

हेमंत करकरे

  • ATS चीफ थे जब केस की जांच शुरू हुई।

  • 26/11 मुंबई हमले में शहीद।

  • उनके नाम पर मालेगांव में एक सड़क और मेमोरियल भी है।


💬 रिएक्शन: सियासत और सवाल

असदुद्दीन ओवैसी:

“मालेगांव केस में भी वही हुआ जो 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में – अभियोजन आरोप साबित नहीं कर पाया। क्या अब भी सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी?”

देवेंद्र फडणवीस:

“भगवा को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए।”

रोहिणी सालियान (पूर्व पब्लिक प्रोसक्यूटर):

“मुझे पहले से अंदाजा था कि ऐसा फैसला आएगा। अगर ऐसा चलता रहा तो समाज की संवेदनशीलता खत्म हो जाएगी।”


📍 अब भी अनसुलझा सवाल – धमाका किसने किया था?

17 साल बीत गए। आरोपी बरी हो गए। लेकिन पीड़ित परिवारों को जवाब नहीं मिला। एजाज अहमद जैसे लोग, जिनकी दुकान धमाके की जगह पर थी, आज भी 9:35 बजे बंद पड़ी उस घड़ी को देखकर न्याय की उम्मीद लगाते हैं।


🔍 क्या आगे होगी अपील?

अब निगाहें इस पर हैं कि क्या महाराष्ट्र सरकार या कोई अन्य पक्ष इस फैसले को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा? या यह मान लिया जाएगा कि मालेगांव ब्लास्ट “किसी ने नहीं किया”?


🔚 निष्कर्ष: इंसाफ की घड़ी रुकी हुई है

मालेगांव बम ब्लास्ट केस भारत की न्याय प्रणाली, जांच एजेंसियों और राजनीति की भूमिका को लेकर कई गंभीर सवाल छोड़ता है। यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि विश्वास, जवाबदेही और इंसाफ की परीक्षा है।

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