वास्तु शास्त्र में दिशाओं और रंगों का विशेष महत्व है। हर दिशा का अपना स्वामी ग्रह होता है और उसी ग्रह के अनुरूप रंगों का चयन करने से घर और ऑफिस में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सही दिशा में सही रंग का प्रयोग करने से स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
उत्तर दिशा में शुभ रंग
उत्तर दिशा का स्वामी कुबेर है, जो धन के देवता माने जाते हैं।
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इस दिशा में हल्का नीला, हरा या सिल्वर रंग शुभ माना जाता है।
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यह रंग आर्थिक प्रगति और अवसरों की वृद्धि लाते हैं।
पूर्व दिशा में शुभ रंग
पूर्व दिशा का स्वामी सूर्य देव हैं।
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इस दिशा के लिए पीला, क्रीम और सफेद रंग उत्तम होता है।
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ये रंग घर में सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य लाभ लाते हैं।
दक्षिण दिशा में शुभ रंग
दक्षिण दिशा का स्वामी यम और ग्रह मंगल माने जाते हैं।
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इस दिशा में लाल और भूरा रंग उपयुक्त है।
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यह साहस, आत्मविश्वास और ऊर्जा को बढ़ाता है।
पश्चिम दिशा में शुभ रंग
पश्चिम दिशा का स्वामी वरुण देव हैं।
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यहां पर सुनहरा, सफेद और ग्रे रंग शुभ परिणाम देते हैं।
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यह रंग घर में शांति, स्थिरता और संतुलन बनाए रखते हैं।
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में शुभ रंग
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इस भाग में हल्का पीला और सफेद रंग सबसे शुभ माना जाता है।
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इससे घर में ज्ञान, आध्यात्मिकता और समृद्धि आती है।
आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में शुभ रंग
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इस दिशा का संबंध अग्नि तत्व से है।
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यहां लाल, नारंगी और गुलाबी रंग अच्छा प्रभाव डालते हैं।
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यह उत्साह और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में शुभ रंग
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यह दिशा स्थिरता और परिवार की सुरक्षा का प्रतीक है।
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भूरा और हल्का पीला रंग यहां शुभ माना जाता है।
वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में शुभ रंग
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इस दिशा का स्वामी वायु देव हैं।
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यहां सफेद और नीला रंग सबसे अच्छा माना जाता है।
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इससे परिवार में सामंजस्य और सहयोग बढ़ता है।
निष्कर्ष
वास्तु शास्त्र के अनुसार हर दिशा का अपना महत्व है और रंगों का चयन उसी के आधार पर करना चाहिए। सही दिशा में सही रंग का प्रयोग घर में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि को बढ़ाता है।