भारत-अमेरिका-रूस-चीन संबंध 2025 में एक अहम मोड़ पर हैं। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टेरिफ और रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका के दबाव ने इस जटिल जियोपॉलिटिकल समीकरण को और भी पेचीदा बना दिया है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे ये कदम भारत के विदेशी संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं और भविष्य में इनके क्या नतीजे हो सकते हैं।
भारत-अमेरिका-रूस-चीन संबंध 2025: ट्रंप के टेरिफ का राजनीतिक प्रभाव
ट्रंप के टेरिफ: भारत और चीन पर अंतर
अप्रैल 2025 में ट्रंप ने चीन के खिलाफ टेरिफ युद्ध शुरू किया, लेकिन यह लंबे समय तक जारी नहीं रहा क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता चल रही थी। वहीं, भारत पर अमेरिका ने 30 जुलाई से 25% टेरिफ लगाया, जो बाद में 7 अगस्त को 50% तक बढ़ा दिया गया। यह अतिरिक्त टेरिफ खासतौर पर भारत के रूस से तेल खरीदने के विरोध में लगाया गया।
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन वाल्टन का बयान
ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन वाल्टन ने सीएनएन से बातचीत में कहा कि अमेरिका को भारत की नकारात्मक प्रतिक्रिया का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत यह देख रहा है कि अमेरिका ने चीन पर कोई अतिरिक्त टेरिफ नहीं लगाया है, जिससे भारत को अमेरिका की नीति में असमानता लग रही है।
रूस से तेल खरीदने पर भारत पर दबाव और उसका असर
ट्रंप का भारत पर दबाव
ट्रंप ने भारत को धमकी दी कि अगर उसने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया तो उस पर अतिरिक्त टेरिफ लगाया जाएगा। इसके बाद भारत पर कुल 50% टेरिफ लगा दिया गया। ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत रूस से सैन्य उपकरण और तेल खरीदकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस की मदद कर रहा है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस दबाव को अनुचित बताया है और रूस से संबंध मजबूत बनाए रखने की नीति पर कायम है। अगस्त में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोबाल रूस पहुंचे और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी रूस की यात्रा करेंगे। वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की भी मुलाकात तय है।
अमेरिका-भारत संबंधों पर संभावित दीर्घकालिक प्रभाव
विशेषज्ञों की चिंताएं
फॉरेन पॉलिसी एक्सपर्ट और पूर्व अमेरिकी ट्रेड अधिकारी क्रिस्टोफर पेडेडला ने चेतावनी दी है कि इस टेरिफ के कारण भारत-अमेरिका संबंधों को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है। यह विश्वासघात का सवाल भी खड़ा कर सकता है कि क्या अमेरिका भरोसेमंद सहयोगी है।
भारत का मजबूत रुख
इन सभी दबावों के बावजूद भारत अपने निर्णयों पर दृढ़ है और रूस के साथ रणनीतिक संबंधों को बनाए रख रहा है। भारत ने अपनी नीति को साफ तौर पर बताया है कि वह शांति और स्थिरता की दिशा में काम करना चाहता है।
आगामी रूस-अमेरिका बैठक और भारत की भूमिका
अगस्त के मध्य में अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक होनी है, जिसका भारत ने स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस बैठक से यूक्रेन युद्ध समाप्त होने और शांति स्थापित होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कई बार कहा है कि युद्ध का समय नहीं है और भारत शांति प्रयासों का समर्थन करता है।
निष्कर्ष
भारत-अमेरिका-रूस-चीन संबंध 2025 में तेजी से बदल रहे हैं। ट्रंप के टेरिफ से उत्पन्न तनाव भारत को रूस और चीन के करीब ला सकता है, जो जियोपॉलिटिक्स में नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। इस गतिशील परिस्थिति में भारत अपनी विदेश नीति को संतुलित रखते हुए अपने हितों की रक्षा कर रहा है। आने वाले समय में इन संबंधों में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखना जरूरी होगा।