कोलकाता: भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) कोलकाता के 26 वर्षीय पीएचडी छात्र अनमित्र रॉय की मौत के मामले ने पूरे शैक्षणिक जगत को झकझोर दिया है।
शुक्रवार को रॉय की मौत AIIMS कल्याणी में हुई। वह गुरुवार को मोहानपुर कैंपस के एक लैब में बड़ी मात्रा में एंटी-डिप्रेशन गोलियां खाने के बाद भर्ती हुए थे।
शनिवार को उनके चचेरे भाई ऋषिकेश ने हरीनघाटा थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि रॉय को रैगिंग का शिकार बनाया गया और उनकी शिकायत को संस्थान की एंटी-रैगिंग सेल ने नज़रअंदाज़ कर दिया। इसके आधार पर पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है।
संस्थान की प्रतिक्रिया
IISER कोलकाता ने पहले ही एक बयान जारी कर कहा था कि वह अपने चेक एंड बैलेंस सिस्टम को मजबूत करेगा, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। अब संस्थान ने घटना की जांच के लिए फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी गठित कर दी है।
संस्थान ने हालांकि रैगिंग की संभावना से इंकार किया है। उनका कहना है कि रॉय पिछले आठ साल से कैंपस में थे और यह मामला संभवतः एक अन्य पीएचडी छात्र के साथ लैब इस्तेमाल को लेकर विवाद का हो सकता है।
रॉय की आखिरी फेसबुक पोस्ट
दवा खाने से पहले रॉय ने अपने फेसबुक पर एक लंबा पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा—
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एक सहपाठी द्वारा अपमान और दुर्व्यवहार
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एस्परगर सिंड्रोम से जूझने का अनुभव
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बचपन से मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न
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स्कूल और कॉलेज में बुलिंग
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14 साल की उम्र में पहला गंभीर डिप्रेशन अटैक
उन्होंने यह भी लिखा कि उन्हें अपने पीएचडी सुपरवाइज़र से मार्गदर्शन और समर्थन की जगह लगातार हतोत्साहित किया जाता रहा।
परिवार के आरोप
ऋषिकेश का कहना है कि—
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रॉय को एक सीनियर द्वारा गंभीर बुलिंग का सामना करना पड़ा
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अप्रैल में एंटी-रैगिंग सेल में की गई उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई
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AIIMS में भर्ती होने के बाद परिवार को समय पर सही सूचना नहीं दी गई
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IISER अधिकारियों ने आरोपियों के बारे में जानकारी देने में सहयोग नहीं किया
छात्रों की मांग
पोस्टमार्टम के बाद रॉय का शव IISER कैंपस लाया गया, जहां छात्रों ने संस्थान को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने सवाल किया कि एंटी-रैगिंग कमेटी अप्रैल की शिकायत पर चुप क्यों रही और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।