18 अगस्त 1934 को पाकिस्तान के झेलम में जन्मे सम्पूर्ण सिंह कालरा (गुलजार) ने बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई। विभाजन के बाद वह भारत आकर बसे और मुंबई की गलियों में अपने सपनों को पंख दिए।
कैसे बने गुलजार?
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असली नाम: सम्पूर्ण सिंह कालरा
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उपनाम: गुलजार (उर्दू शायरी से प्रभावित)
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पहला ब्रेक: बिमल रॉय की फिल्म ‘बंदिनी’ (1963) में गीतकार के रूप में
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प्रसिद्ध गीत: “मोरा गोरा रंग लइले…”
राखी से शादी और अलगाव
1973 में गुलजार ने बॉलीवुड अभिनेत्री राखी से शादी की। हालांकि, बेटी मेघना गुलजार के जन्म के एक साल बाद ही दोनों अलग हो गए।
मेघना गुलजार की परवरिश
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गुलजार ने मेघना की जिम्मेदारी पूरी तरह संभाली।
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वह उन्हें स्कूल छोड़ने-लेने जाते थे और उनकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान देते थे।
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मेघना आज एक सफल फिल्म निर्देशक हैं (राजी, छपाक, सैम बहादुर)।
गुलजार के प्रसिद्ध गीत और फिल्में
गुलजार ने हिंदी सिनेमा को कई यादगार गीत दिए:
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“तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं…” (अनुराधा पौडवाल)
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“छैंया छैंया…” (दिल से)
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“कजरारे कजरारे…” (हम दिल दे चुके सनम)
उन्होंने माचिस, हु तू तू, और इजाजत जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया।
पुरस्कार और सम्मान
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राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
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साहित्य अकादमी पुरस्कार
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पद्म भूषण (2004)
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ऑस्कर (गीत “जय हो” के लिए, 2009)
FAQ: गुलजार के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. गुलजार का असली नाम क्या है?
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सम्पूर्ण सिंह कालरा
2. गुलजार और राखी क्यों अलग हुए?
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व्यक्तिगत मतभेदों के कारण, लेकिन दोनों ने कभी खुलकर इस पर बात नहीं की।
3. गुलजार की बेटी मेघना क्या करती हैं?
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वह एक फिल्म निर्देशक हैं (राजी, छपाक जैसी फिल्में बनाई हैं)।
4. गुलजार को कितने पुरस्कार मिले हैं?
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5 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण और ऑस्कर।
5. गुलजार की सबसे प्रसिद्ध रचना कौन सी है?
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“तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं…”
निष्कर्ष: गुलजार की विरासत
गुलजार ने हिंदी सिनेमा और साहित्य को एक नई दिशा दी। उनकी शायरी, गीत और फिल्में आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। उनका 90वां जन्मदिन उनकी महान विरासत को याद करने का सही मौका है।