3 सितंबर 2025 को बीजिंग में चीन ने अपने इतिहास की सबसे भव्य और शक्तिशाली मिलिट्री परेड का आयोजन किया।
यह केवल एक परेड नहीं थी, बल्कि एक पावर शो था, जिसमें चीन ने दुनिया को यह संदेश दिया कि वह मॉडर्न वॉरफेयर टेक्नोलॉजी में किसी से पीछे नहीं है।
इस आयोजन में ICBM मिसाइल सिस्टम, हाइपरसोनिक हथियार, लेजर वेपन, ड्रोन टेक्नोलॉजी, और डिजिटल वॉर रूम जैसी अत्याधुनिक क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया।
1. परेड में प्रदर्शित चीन के नए हथियार
चीन की इस परेड में कई ऐसे एडवांस्ड हथियार पेश किए गए, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी।
🔹 ICBM मिसाइलें और परमाणु क्षमता
चीन ने पहली बार अपने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) और न्यूक्लियर हथियारों की असली ताकत दिखाई:
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Dongfeng DF-61 → लंबी दूरी की ICBM, जो हजारों किलोमीटर दूर के लक्ष्य को भेद सकती है।
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Dongfeng DF-31BJ → मोबाइल ICBM, जो न्यूक्लियर वारहेड ले जाने में सक्षम।
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JL-3 मिसाइल → सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM), जो पानी के भीतर से हमला करने की क्षमता रखती है।
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Jingle-1 एयरबेस्ड मिसाइल → एयर लॉन्च न्यूक्लियर मिसाइल, जो फाइटर जेट्स से दागी जा सकती है।
🔹 हाइपरसोनिक और लेजर हथियार
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हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल्स → विशेष रूप से अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर्स को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन।
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LY-1 लेजर वेपन सिस्टम → दुश्मन के ड्रोन, फाइटर जेट्स और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स को कुछ ही सेकंड में नष्ट करने में सक्षम।
🔹 ड्रोन टेक्नोलॉजी और रोबोटिक हथियार
चीन की AI-आधारित वॉरफेयर टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा प्रदर्शन ड्रोन और रोबोटिक सिस्टम्स में देखने को मिला:
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एंटी-ड्रोन स्वार्म सिस्टम्स
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ऑटोमेटेड ड्रोन प्लेटफॉर्म्स
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रोबोटिक डॉग्स और पैनो-वॉकिंग रोबोट्स
यह साफ संकेत है कि चीन AI-चालित युद्ध तकनीक में दुनिया से काफी आगे बढ़ रहा है।
2. चीन का नया ‘डिजिटल वॉर रूम’ और इंफॉर्मेशन सपोर्ट फोर्स
इस परेड में चीन ने पहली बार अपना नया हाई-टेक डिजिटल वॉर रूम प्रदर्शित किया, जिसमें शामिल हैं:
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क्लाउड कंप्यूटिंग व्हीकल्स
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डिजिटल इंटेलिजेंस सिस्टम्स
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एयर-ग्राउंड नेटवर्क प्लेटफॉर्म्स
मई 2025 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, चीन ने इसी इंफॉर्मेशन सपोर्ट फोर्स के जरिए पाकिस्तान को रियल-टाइम बैटल अपडेट्स दिए थे।
यह चीन की हाइब्रिड वॉरफेयर स्ट्रेटेजी की ओर इशारा करता है।
3. ‘क्रिंक’ एलायंस: अमेरिका के खिलाफ चीन का नया गठबंधन
इस आयोजन में चीन ने अपने करीबी साझेदारों को भी बुलाया। इनमें शामिल थे:
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व्लादिमीर पुतिन → रूस
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किम जोंग उन → नॉर्थ कोरिया
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शहबाज शरीफ व असिम मुनीर → पाकिस्तान
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मसूद पिशियान → ईरान
चीन, रूस, ईरान और नॉर्थ कोरिया का यह नया अनौपचारिक गठबंधन अब “CRINK” कहलाता है।
अमेरिका ने इसे “Axis of Upheaval” कहा है, यानी ऐसा समूह जो वैश्विक शक्ति संतुलन को हिला सकता है।
4. अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी प्रतिक्रिया
चीन की इस परेड ने अमेरिका में हलचल मचा दी।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में शी जिनपिंग पर सीधा निशाना साधते हुए लिखा:
“पुतिन और किम को मेरी शुभकामनाएं देना, क्योंकि आप लोग मेरे खिलाफ साजिश रचने में व्यस्त हैं।”
अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता यह है कि चीन-रूस-ईरान-नॉर्थ कोरिया का एकजुट होना उसके भू-राजनीतिक प्रभुत्व के लिए गंभीर खतरा है।
5. भारत के लिए बड़ा सबक
भारत के लिए यह परेड कई महत्वपूर्ण संदेश छोड़ गई:
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चीन भारत को संभावित साझेदार के रूप में पेश कर रहा है, न कि सिर्फ एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में।
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SCO समिट 2025 में पीएम नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात ने रिश्तों में थोड़ी नरमी लाई है।
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भारत अमेरिका से दूरी नहीं बना रहा, बल्कि संतुलित कूटनीति अपना रहा है।
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भारत को फिलहाल रणनीतिक सावधानी बरतनी होगी ताकि वह किसी भी वैश्विक शक्ति संघर्ष में सीधे शामिल न हो।
6. अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव
चीन की इस मिलिट्री परेड का प्रभाव केवल हथियारों की ताकत तक सीमित नहीं है। इसके बड़े उद्देश्य हैं:
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वैश्विक शक्ति संतुलन को बदलना
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चीन के हथियारों का अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग
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रूस और ईरान को हथियारों की सप्लाई बढ़ाना
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अमेरिकी वर्चस्व को सीधी चुनौती देना
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निष्कर्ष
चीन की मिलिट्री परेड 2025 केवल एक समारोह नहीं थी, बल्कि दुनिया के लिए एक राजनीतिक संदेश थी।
ICBM मिसाइलें, हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी, डिजिटल वॉर रूम और क्रिंक एलायंस के प्रदर्शन से चीन ने साफ कर दिया है कि वह अब केवल एशिया तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक सुपरपावर बनने की तैयारी में है।