भारत को कभी “सोने की चिड़िया” कहा जाता था, जब इसकी संपन्नता, सांस्कृतिक वैभव और समृद्ध व्यापार पूरी दुनिया को आकर्षित करता था। लेकिन समय ने करवट ली — विदेशी आक्रमण, गुलामी और शोषण ने देश को कमजोर बना दिया। अब सवाल उठता है — क्या 21वीं सदी का भारत फिर से वही गौरव और वैश्विक प्रतिष्ठा पा सकता है?
भारत: अतीत की झलक
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वैभवशाली इतिहास:
भारत प्राचीन काल में विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र, शिक्षा और व्यापार में अग्रणी था। तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों से विश्वभर के विद्यार्थी ज्ञान अर्जित करने आते थे। -
व्यापारिक महाशक्ति:
भारत दुनिया का सबसे बड़ा वस्त्र और मसालों का निर्यातक था। रोम, मिस्र और चीन जैसे देशों से भारत का सीधा व्यापार होता था। -
आकर्षण का केंद्र:
भारत की संपत्ति ही थी जिसने अलेक्ज़ेंडर से लेकर मुगलों और फिर अंग्रेजों को यहाँ खींचा।
आधुनिक भारत की तस्वीर
1. आर्थिक प्रगति:
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भारत 2025 में विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
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IT, फार्मा, स्टार्टअप्स, फिनटेक और एग्रीटेक जैसे क्षेत्रों में तेजी से विकास।
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Make in India, Startup India, Digital India जैसे अभियानों ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है।
2. जनसंख्या और युवा शक्ति:
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भारत की औसत आयु केवल 28 वर्ष है।
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दुनिया की सबसे बड़ी युवा कार्यशील जनसंख्या भारत के पास है — जो देश को एक नया उछाल दे सकती है।
3. तकनीकी और नवाचार में बढ़त:
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भारत AI, Machine Learning, Quantum Computing, और Space Tech में तेजी से प्रगति कर रहा है।
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ISRO की उपलब्धियाँ और स्टार्टअप इकोसिस्टम वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान बना रहे हैं।
लेकिन क्या यह पर्याप्त है?
चुनौतियाँ:
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समानता और समावेशिता की कमी:
विकास की गति अभी भी शहरी और ग्रामीण भारत में असमान है। -
शिक्षा की गुणवत्ता और बेरोजगारी:
स्किल-गैप और एजुकेशन सिस्टम में सुधार की ज़रूरत है। -
भ्रष्टाचार और लालफीताशाही:
व्यापार और स्टार्टअप्स को रोकने वाली ब्यूरोक्रेसी अब भी एक बड़ी चुनौती है। -
पर्यावरण और संसाधन प्रबंधन:
अनियंत्रित शहरीकरण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन दीर्घकालीन विकास में बाधक है।
समाधान और संभावनाएँ
1. मानव पूंजी में निवेश करें:
शिक्षा, स्वास्थ्य और स्किल डेवलपमेंट पर अधिक फोकस कर युवा शक्ति को पूर्णतः सक्षम बनाना।
2. स्थानीय से वैश्विक तक:
MSMEs, लोकल ब्रांड्स और शिल्प को वैश्विक बाज़ार से जोड़ने की रणनीति अपनाई जाए।
3. ग्लोबल जियो-पॉलिटिक्स में सक्रिय भागीदारी:
भारत को व्यापारिक और कूटनीतिक गठबंधनों में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
4. टेक्नोलॉजी और Sustainability का तालमेल:
तकनीकी विकास के साथ-साथ ग्रीन एनर्जी, रीसाइक्लिंग और क्लाइमेट रेजिलिएंस पर भी ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष:
“भारत फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है — लेकिन इस बार यह संपत्ति केवल सोने और चांदी की नहीं, बल्कि नवाचार, ज्ञान, मानवता और सतत विकास की होगी।”
21वीं सदी भारत की हो सकती है, यदि हम मिलकर भविष्य की नींव आज से रखना शुरू करें।