भारत रूस व्यापार वार्ता ट्रंप टैरिफ

भारत रूस व्यापार वार्ता ट्रंप टैरिफ विवाद में आगे बढ़ी

नई दिल्ली में कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को एक अहम टेलीफोन वार्ता की। इस बातचीत का केंद्र बिंदु था – व्यापार, रणनीतिक साझेदारी और यूक्रेन संकट

यह चर्चा ऐसे समय हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर भारी आयात शुल्क (टैरिफ) लगा दिया है। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदकर अमेरिका के आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचा रहा है।


ट्रंप के टैरिफ क्यों हैं भारत-रूस रिश्तों के लिए चुनौती

हाल के हफ्तों में अमेरिका ने भारत के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ाते हुए पहले 25% टैरिफ की घोषणा की और फिर कुछ उत्पादों पर इसे 50% तक बढ़ा दिया। इन शुल्कों का आधा हिस्सा पहले ही लागू हो चुका है, जबकि बाकी 25% शुल्क 27 अगस्त 2025 से लागू होगा।

ट्रंप ने खुले तौर पर भारत को “रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार” बताते हुए कहा कि यह अमेरिकी हितों के विपरीत है। इस कारण से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक खटास बढ़ने के आसार हैं, जबकि भारत-रूस साझेदारी और मजबूत हो सकती है।


मोदी-पुतिन बातचीत के मुख्य बिंदु

  1. व्यापार और निवेश सहयोग – ऊर्जा, विनिर्माण और धातुकर्म जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को और बढ़ाने पर जोर।

  2. यूक्रेन संकट पर चर्चा – पुतिन ने ताजा हालात से अवगत कराया और संवाद जारी रखने की आवश्यकता दोहराई।

  3. रक्षा एवं तकनीकी सहयोग – भारत ने मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन को भारत-रूस विशेष रणनीतिक साझेदारी की रीढ़ बताया।

  4. पुतिन का भारत दौरा – मोदी ने इस वर्ष के अंत में पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दोहराया।


रक्षा क्षेत्र में गहराता सहयोग

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव से मुलाकात की। दोनों ने सैन्य-तकनीकी सहयोग, नागरिक विमान निर्माण, धातुकर्म और रासायनिक उद्योग में संयुक्त परियोजनाओं पर चर्चा की।

रूसी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी कि बैठक में कई रणनीतिक क्षेत्रों में चल रहे संयुक्त प्रोजेक्ट्स की प्रगति की समीक्षा भी की गई।


भारत की स्पष्ट स्थिति

भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि ऊर्जा खरीद के फैसले वैश्विक बाजार की उपलब्धता और मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर लिए जाते हैं। रक्षा जरूरतों के लिए भी निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मूल्यांकन को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं।

भारत और रूस के रिश्तों को “समय-परीक्षित मित्रता” बताया गया है, जो दशकों से आपसी भरोसे और रणनीतिक सहयोग पर टिकी है।


निष्कर्ष

ट्रंप के टैरिफ के बीच मोदी-पुतिन की यह बातचीत साफ संकेत देती है कि भारत-रूस संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा साझेदारी और वैश्विक रणनीतिक संतुलन का भी हिस्सा हैं। आने वाले महीनों में पुतिन का भारत दौरा इस साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है।

📌 आप क्या सोचते हैं? क्या ट्रंप के टैरिफ भारत को रूस के और करीब ला देंगे? अपनी राय कमेंट में बताएं।


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