भारत और चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों में 2025 में बड़ा मोड़ देखने को मिल रहा है।
दिल्ली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मुलाकात ने नई बहस छेड़ दी है।
गलवान घाटी (2020) के बाद रिश्ते तनावपूर्ण रहे, लेकिन अब दोनों देश एक बार फिर करीब आते नज़र आ रहे हैं।
इसी बीच, डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ और अतिरिक्त 25% पेनल्टी लगाने से अमेरिकी साझेदारी पर भी सवाल उठने लगे हैं।
क्या भारत अब अमेरिका से हटकर चीन की ओर झुकाव दिखा रहा है?
क्या यह बदलाव रणनीतिक है या मजबूरी?
इस आर्टिकल में हम भारत की विदेश नीति के हर पहलू, आर्थिक हितों, सैन्य तनाव, और डोनाल्ड ट्रंप की नई नीति का गहराई से विश्लेषण करेंगे।
भारत-चीन रिश्तों का नया अध्याय (2025)
चीन के विदेश मंत्री वांग यी की दिल्ली यात्रा भारत-चीन संबंधों में रणनीतिक बदलाव का संकेत देती है।
उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की और कहा:
“इतिहास और वर्तमान यह साबित करते हैं कि स्थिर और मजबूत भारत-चीन संबंध दोनों देशों के दीर्घकालिक हितों में हैं।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास आ रही है, और भारत को नए आर्थिक साझेदारों की तलाश है।
अमेरिका से रिश्तों में खटास और ट्रंप का टैरिफ संकट
2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 25% टैरिफ और अतिरिक्त 25% पेनल्टी लगाने की घोषणा की।
इससे भारत के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भरता खतरे में पड़ गई है।
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पहले उम्मीद थी कि यूएस डेलीगेशन भारत आएगा और समझौता होगा,
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लेकिन वह दौरा रद्द हो गया।
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अमेरिकी मीडिया में भारत की तेल लॉबी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच बढ़ती नज़दीकियां भी भारत के लिए नई चुनौती बन गई हैं।
गलवान घाटी से लेकर आज तक – रिश्तों की असली तस्वीर
2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत और चीन के रिश्तों में गहरा तनाव आ गया था।
भारत ने तब अमेरिकी साझेदारी का सहारा लिया, लेमोआ (LEMOA) के तहत जैकेट्स और सैन्य उपकरण भी लिए।
लेकिन अब भारत की रणनीति बदलती दिख रही है:
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गलवान के बाद 50,000 से अधिक भारतीय सैनिक लद्दाख में तैनात हैं।
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चीन के साथ 24वें दौर की सीमा वार्ता चल रही है।
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अक्टूबर 2024 में पूर्वी लद्दाख पेट्रोलिंग पर अहम समझौता हुआ।
भारत अब “ट्रस्ट बट वेरीफाई” की नीति पर चल रहा है — यानी भरोसा करें, लेकिन सतर्क रहें।
क्या भारत अब चीन की ओर झुक रहा है?
भारत की कंपनियां अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए चीनी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की दिशा में बढ़ रही हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार:
“भारतीय कंपनियां चीनी कंपनियों से समझौते कर रही हैं ताकि अमेरिकी टैरिफ का तोड़ निकाला जा सके।”
इससे संकेत मिलता है कि भारत अब विकल्प खोजने में जुटा है, और चीन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
भारत की नई विदेश नीति — स्ट्रेटेजिक ऑटोनॉमी
भारत की विदेश नीति अब बहुपक्षीय संतुलन पर आधारित हो रही है।
अमेरिका, रूस, यूरोप, चीन — सभी के साथ रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का इस महीने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) सम्मेलन में शामिल होना इसी का संकेत है।
यह साफ है कि भारत अपनी स्ट्रेटेजिक ऑटोनॉमी को बनाए रखना चाहता है,
लेकिन अमेरिका के दबाव और चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं होगा।
FAQs – भारत-चीन-अमेरिका संबंध 2025
Q1. 2025 में भारत-चीन संबंधों में क्या नया बदलाव आया है?
Ans: वांग यी की दिल्ली यात्रा और अजीत डोभाल के साथ मुलाकात से संकेत मिलते हैं कि भारत और चीन रिश्तों को सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं।
Q2. डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का भारत पर क्या असर पड़ेगा?
Ans: ट्रंप के 25% टैरिफ और 25% पेनल्टी से भारतीय कंपनियों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा कम होगी,
इसी कारण भारत अब चीन और अन्य देशों के साथ नए समझौते तलाश रहा है।
Q3. गलवान घाटी के बाद भारत की रणनीति में क्या बदलाव आया?
Ans: भारत अब “ट्रस्ट बट वेरीफाई” की नीति पर काम कर रहा है,
जिसमें चीन के साथ बातचीत जारी रखते हुए सैन्य तैयारियां भी मजबूत की जा रही हैं।
Q4. क्या भारत चीन के करीब जाने से अमेरिका से दूरी बना रहा है?
Ans: पूरी तरह नहीं, लेकिन भारत अब विकल्प आधारित विदेश नीति अपना रहा है ताकि किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता न रहे।