एशिया कप 2025 में 17 सितंबर का दिन क्रिकेट प्रेमियों के लिए तनाव और रोमांच से भरा रहा। पाकिस्तान और यूएई के बीच होने वाले मुकाबले पर अचानक अनिश्चितता के बादल छा गए। तय समय पर यूएई की टीम स्टेडियम पहुंच गई, लेकिन पाकिस्तान की टीम होटल से बाहर ही नहीं निकली। सवाल उठने लगे—क्या पाकिस्तान मैच से बॉयकॉट करने जा रहा है?
पाकिस्तान की शर्तें और विवाद की जड़
पाकिस्तानी टीम ने खेलने से पहले कई शर्तें रख दीं। मुख्य विवाद 14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान मैच से जुड़ा था।
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पाकिस्तान का आरोप था कि भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव और टीम इंडिया ने जानबूझकर हाथ मिलाने (हैंडशेक) से इनकार किया।
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पाकिस्तान ने यह भी मांग की कि उस मैच के रेफरी एनडी पाईक्राफ्ट को तुरंत हटाया जाए।
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उनका कहना था कि पाईक्राफ्ट के इशारे पर भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान टीम का अपमान किया।
हालांकि ICC और एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया। ACC के चेयरमैन मोहसिन नक़वी खुद पाकिस्तानी हैं, फिर भी पाकिस्तान की मांगों को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया गया।
सूर्यकुमार यादव पर कार्रवाई की मांग
पाकिस्तानी दिग्गजों—शाहिद अफरीदी, राशिद लतीफ और मोहम्मद यूसुफ—ने मीडिया में बयान दिया कि सूर्यकुमार यादव पर कार्रवाई होनी चाहिए। उनका आरोप था कि यह सिर्फ खेल भावना का उल्लंघन नहीं बल्कि पाकिस्तान को अपमानित करने की साजिश थी।
लेकिन भारतीय पक्ष का तर्क अलग है। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने हैंडशेक से परहेज कर पाकिस्तान के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
एनडी पाईक्राफ्ट पर विवाद
रेफरी एनडी पाईक्राफ्ट का नाम पहली बार विवादों में नहीं आया है। उनका करियर कई बार आलोचनाओं और बहस का हिस्सा रहा है। हालांकि इस मामले में ICC ने साफ कर दिया है कि पाईक्राफ्ट की कोई गलती साबित नहीं हुई है और हैंडशेक न होना पूरी तरह भारतीय खिलाड़ियों का फैसला था।
पाकिस्तान का रवैया और क्रिकेट राजनीति
शुरुआत में पाकिस्तान ने साफ संकेत दिए कि वह एशिया कप से हट सकता है। लेकिन कुछ ही घंटों में टीम होटल से निकलकर मैदान पर पहुंच गई और मैच लगभग एक घंटे की देरी से शुरू हुआ। यह बदलाव कई सवाल छोड़ गया:
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क्या पाकिस्तान केवल दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था?
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क्या ICC या ACC ने पर्दे के पीछे कोई सख्त संदेश दिया?
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या फिर पाकिस्तान को यह समझ आया कि बॉयकॉट करने से उनकी क्रिकेट छवि और कमजोर हो जाएगी?
विशेषज्ञों की राय
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इर्फान पठान ने टीवी पर कहा कि हैंडशेक न होना भारतीय टीम का सामूहिक फैसला था, इसे रेफरी या किसी खिलाड़ी से जोड़ना गलत है।
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शोएब अख्तर ने अपेक्षाकृत संतुलित बयान दिया और कहा कि खेल को राजनीति से अलग रखना चाहिए।
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वहीं मोहम्मद यूसुफ ने तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसे भारतीय मीडिया ने गैर-खेलभावना बताया।
पाकिस्तान की हालिया परफॉर्मेंस और चुनौतियाँ
क्रिकेट विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान को ऐसी बहसों से ज्यादा अपनी टीम की परफॉर्मेंस पर ध्यान देना चाहिए।
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हाल की सीरीज़ में पाकिस्तान को भारत और न्यूजीलैंड जैसी टीमों से लगातार हार का सामना करना पड़ा है।
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नई टीम के साथ उन्हें बेहतर तैयारी और आत्मविश्वास की जरूरत है।
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बड़े टूर्नामेंट से बाहर रहना उनकी क्रिकेट रणनीति और भविष्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
निष्कर्ष: विवाद से सबक क्या?
यह पूरा प्रकरण साफ करता है कि एशिया कप 2025 सिर्फ क्रिकेट का नहीं बल्कि कूटनीति और भावनाओं का भी मैदान बन गया है। पाकिस्तान ने हैंडशेक विवाद को तूल देकर अपनी असहमति जताई, लेकिन अंततः दबाव और व्यावहारिकता के चलते मैदान पर उतरना पड़ा।