मुंगेर, बिहार: कहते हैं ना, “जहाँ चाह वहाँ राह”, लेकिन कभी-कभी राह इतनी कठिन लगती है कि इंसान उसे खोज ही नहीं पाता। सोमवार की शाम बेगूसराय जिले के बछवाड़ा रेलवे जंक्शन पर एक लगभग 16 वर्षीय किशोर ने बरौनी-ग्वालियर अप एक्सप्रेस ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी।
घटना जंक्शन के पश्चिमी गुमटी संख्या 22 बी के पास हुई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि किशोर गुमटी पर खड़ा था और जैसे ही ट्रेन वहां पहुंची, उसने एक पल में जिंदगी और मौत का फासला तय कर दिया। ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
घटना की जांच और पुलिस का बयान
रेल थाना अध्यक्ष विशंभर मांझी ने बताया कि ग्रामीणों के बयान और घटनास्थल के सुरागों के आधार पर यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और पहचान सुनिश्चित करने के लिए किशोर की तस्वीरें आसपास के थानों में भेज दी गई हैं।
-
पोशाक विवरण: पीली शर्ट और भूरी पैंट।
-
प्रतिक्रिया: घटना की सूचना तुरंत गेटमैन ने रेलवे पुलिस को दी।
-
स्थानीय दृश्य: जैसे ही खबर फैली, आसपास के लोग घटनास्थल पर इकठ्ठा हो गए।
थाना अध्यक्ष ने कहा, “पहचान होने के बाद शव परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा।”
ग्रामीणों की मानें तो…
स्थानीय लोगों का कहना है कि किशोर घर और स्कूल की परेशानियों से घिरा हुआ था। ग्रामीण बोले, “कहते हैं दुख बाँटने से हल होता है, लेकिन उसके साथ कोई नहीं खड़ा था।”
विशेषज्ञों का कहना है कि किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को समय रहते पहचानना जरूरी है। परिवार और शिक्षक इस तरह के संकेतों पर ध्यान दें, वरना “छोटी आग भी जंगल जला सकती है।”
बिहार में किशोर आत्महत्या का बढ़ता संकट
राज्य में किशोरों की आत्महत्या की घटनाएं चिंता का विषय हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में 15-19 आयु वर्ग में आत्महत्या की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही।
-
कई मामलों में मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक तनाव प्रमुख कारण रहे।
-
विशेषज्ञ कहते हैं कि किशोरों को समझना और साथ देना समाज की जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष और पाठक के लिए takeaway
यह दर्दनाक घटना हमें याद दिलाती है कि “समय पर मदद करना किसी की जिंदगी बचा सकता है।” किशोरों की मानसिक परेशानियों पर ध्यान देना सिर्फ परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।
Takeaway:
-
किशोरों में बदलाव और परेशानियों के संकेतों को नजरअंदाज न करें।
-
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और जरूरत पड़ने पर पेशेवर मदद लें।
-
समाज में खुला संवाद और सहानुभूति ही ऐसे दर्दनाक फैसलों को रोक सकती है।