हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह सिर्फ एक भाषाई उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा को याद करने का अवसर है। 1949 में संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया। आज 76 वर्ष बाद भी हिंदी और भारतीय भाषाएं भारत की एकता, संस्कृति और तकनीकी प्रगति की आधारशिला बनी हुई हैं।
गुलामी के दौर में भाषाओं की भूमिका
इतिहास बताता है कि जब भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था, तब भारतीय भाषाएं प्रतिरोध की आवाज बनीं।
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स्वतंत्रता सेनानियों ने ग्रामीण और जनभाषाओं का प्रयोग कर आजादी का संदेश फैलाया।
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कवियों और लेखकों ने लोकगीतों, नाटकों और कहानियों के माध्यम से स्वतंत्रता की चेतना जगाई।
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“वंदे मातरम्” और “जय हिंद” जैसे नारों ने जनता में नई ऊर्जा का संचार किया।
हिंदी और भारतीय भाषाओं का सांस्कृतिक वैभव
भारत मूलतः एक भाषा-प्रधान देश है।
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उत्तर में तुलसीदास और कबीर,
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दक्षिण में कृष्णदेवराय और सुब्रमण्यम भारती,
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पूर्वोत्तर में शंकरदेव और भूपेन हजारिका,
इन सभी महान विभूतियों ने यह सिद्ध किया कि भाषा क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पहचान है।
👉 साहित्य से लेकर संगीत तक, हर राज्य की भाषा ने भारत को जोड़ने का काम किया।
आधुनिक भारत में भाषाओं का पुनर्जागरण
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने हिंदी दिवस संदेश में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय भाषाओं का पुनर्जागरण हो रहा है।
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संयुक्त राष्ट्र, G-20 और SCO जैसे मंचों पर प्रधानमंत्री ने हिंदी और भारतीय भाषाओं में भाषण देकर वैश्विक पहचान दिलाई।
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डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस के दौर में भाषाओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जा रहा है।
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2024 में ‘भारतीय भाषा अनुभाग’ की स्थापना हुई ताकि प्रमुख भाषाओं के बीच सहज अनुवाद संभव हो सके।
अनुभव और आज की स्थिति
मेरे अनुभव में, चाहे गांव की चौपाल हो या महानगर का आईटी सेक्टर, मातृभाषा में संवाद हमेशा सहज और प्रभावशाली होता है।
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छोटे शहरों में डिजिटल सेवाओं की पहुंच हिंदी के कारण बढ़ी।
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शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग बच्चों की समझ आसान बनाता है।
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कोर्ट और प्रशासनिक कामकाज में हिंदी ने प्रक्रियाओं को सरल किया है।
👉 यानी भाषा केवल संवाद नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का साधन है।
हिंदी दिवस 2025: 76 गौरवशाली वर्ष
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14 सितंबर 1949 को हिंदी बनी राजभाषा
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14 सितंबर 1953 से मनाया जाने लगा हिंदी दिवस
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2025 तक हिंदी दिवस ने पूरे किए 76 गौरवशाली वर्ष
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राजभाषा विभाग ने 50 वर्ष पूरे कर हिंदी को जनभाषा और जनचेतना की भाषा बनाने का संकल्प पूरा किया
निष्कर्ष: अपनी भाषा सबसे मधुर
हिंदी दिवस 2025 हमें याद दिलाता है कि भाषा सिर्फ बोलने का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा है।
जैसा कि मिथिला के कवि विद्यापति ने कहा था:
“देसिल बयना सब जन मिट्ठा” – अपनी भाषा हमेशा सबसे मधुर होती है।
➡️ हिंदी और भारतीय भाषाओं का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।
➡️ तकनीक और शिक्षा में भाषाओं का प्रयोग भारत को वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाइयाँ दिला सकता है।