भारत का चुनाव आयोग: लोकतंत्र की वो मशाल जो बुझी नहीं
“लोकतंत्र की गाड़ी तभी चलेगी जब उसके पहिए सही सलामत हों।” भारत में यह पहिया है चुनाव आयोग, जो 1950 से अब तक हर मोड़ पर इस गाड़ी को पटरी पर बनाए रखे हुए है।
एक नई सुबह: जब बना चुनाव आयोग
कहावत है – “जैसा बोओगे वैसा काटोगे।” संविधान निर्माताओं ने 25 जनवरी 1950 को चुनाव आयोग का बीज बोया, ताकि देश में आज़ाद और निष्पक्ष चुनाव का पौधा उगे।
पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ। उस समय करोड़ों लोग पहली बार मताधिकार का प्रयोग करने जा रहे थे।
पहले चुनाव की कहानी: अनपढ़ भारत, समझदार आयोग
उस दौर में देश के अधिकांश लोग निरक्षर थे। सवाल उठा – “भैया, नाम पढ़ेंगे कैसे?”
आयोग ने हल निकाला – चुनाव चिह्न। अब जिसे हाथ दिखा, किसी को तीर-धनुष, तो किसी को लालटेन – सबने अपने-अपने निशान से पहचान लिया।
यानी “जहाँ चाह, वहाँ राह।”
1962 के बाद मिली पक्की पहचान
1962 के चुनावों ने आयोग को मज़बूत किया। अब यह सिर्फ कागज़ी संस्था नहीं रही, बल्कि लोकतंत्र का पहरेदार बन गई। “घर की रखवाली करने वाला चौकीदार भले ही चुप रहे, लेकिन उसकी मौजूदगी ही चोरों को डराती है।” ठीक वैसे ही चुनाव आयोग की मौजूदगी ने राजनीति में अनुशासन लाया।
आपातकाल: जब आयोग की साख पर उठा सवाल
1975 का आपातकाल भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी कसौटी था। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उंगली उठाई।
कहावत है – “आग में घी डालना।” वैसा ही माहौल था। लेकिन इस दौर ने आयोग को और मजबूत बनाया।
EVM का दौर: कागज़ से बटन तक
90 का दशक चुनाव सुधारों का समय था।
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1998: पहली बार बड़े स्तर पर EVM का इस्तेमाल
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2004: पूरे देश में केवल EVM से चुनाव
लोगों ने कहा – “कागज़ की नाव अब डूबेगी नहीं, मशीन का जहाज़ चलेगा।”
21वीं सदी की नई चुनौतियाँ
समय बदल गया, चुनौतियाँ भी।
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सोशल मीडिया पर झूठी खबरों की बाढ़ (“आम के पेड़ पर बेर नहीं लगते, लेकिन अफवाहें कहीं भी लग जाती हैं”)
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चुनाव खर्च पर बढ़ती नजर
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आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की एंट्री
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युवाओं का घटता वोट प्रतिशत
2025 में आयोग अब डिजिटल वोटिंग और AI मॉनिटरिंग सिस्टम पर काम कर रहा है।
2025: लोकतंत्र की डगर पर चुनाव आयोग
आज जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, आयोग की जिम्मेदारियाँ और बढ़ गई हैं।
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पारदर्शिता
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तकनीकी सुरक्षा
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युवाओं की भागीदारी
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ग्रामीण वोटरों को जागरूक करना
कहावत है – “नाव बड़ी हो या छोटी, खेवनहार ईमानदार होना चाहिए।” चुनाव आयोग वही खेवनहार है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. भारत का चुनाव आयोग कब बना?
25 जनवरी 1950 को।
2. पहले मुख्य चुनाव आयुक्त कौन थे?
सुकुमार सेन।
3. पहला आम चुनाव कब हुआ?
1951-52 में।
4. चुनाव आयोग का काम क्या है?
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना।
5. 2025 में इसकी नई चुनौतियाँ क्या हैं?
फेक न्यूज़, चुनावी खर्च और डिजिटल वोटिंग की सुरक्षा।
निष्कर्ष
भारत का चुनाव आयोग लोकतंत्र का वो दीया है जो तूफ़ानों में भी बुझा नहीं।
1950 से लेकर 2025 तक इसने देश को बार-बार साबित किया है कि “सच को छुपाया जा सकता है, हराया नहीं।”
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