शिमला मिर्च की खेती

पॉलीहाउस खेती से 30 एकड़ में करोड़ों की कमाई – जानिए मनौली गांव की कहानी

हरियाणा के सोनीपत जिले का गांव मनौली आज पूरे देश में एक मिसाल बन चुका है। यह गांव शिमला मिर्च (Capsicum / Bell Pepper) और अन्य हाई-वैल्यू फसलों की पॉलीहाउस खेती (Protected Cultivation) के लिए जाना जाता है। यहां के किसान न केवल आत्मनिर्भर बने हैं, बल्कि कई तो अब इनकम टैक्स भरने वाले पहले किसान भी कहलाते हैं।


शिमला मिर्च की खेती क्यों है खास?

  • लंबे समय तक उत्पादन

  • उच्च बाजार मूल्य (हरी शिमला मिर्च की तुलना में 5-6 गुना अधिक दाम)

  • निरंतर नकद आमदनी

  • कम पानी में अधिक उपज (ड्रिप इरिगेशन से)


मनौली गांव के अरुण कुमार: एक प्रेरणादायक किसान

👉 अरुण कुमार, जिन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, नौकरी और बिज़नेस छोड़कर अपने गांव लौटे।
👉 2002 से उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के साथ स्वीट कॉर्न से शुरुआत की और बाद में शिमला मिर्च की खेती पर टिके।
👉 आज उनके पास कुल 30 एकड़ ज़मीन है, जिसमें से 4 एकड़ में पॉलीहाउस और नेट हाउस लगे हैं।


पॉलीहाउस खेती की शुरुआत

  • 2008: ड्रिप इरिगेशन की शुरुआत

  • 2011: पहला पॉलीहाउस लगाया (₹4.75 लाख लागत, 65% सब्सिडी)

  • वर्तमान में: 4 पॉलीहाउस, ज्यादातर लाल और पीली शिमला मिर्च की खेती


कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग: बदलती तस्वीर

किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती हमेशा से बिक्री और मंडी के भाव रहे हैं।
लेकिन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के चलते –
✅ पहले से तय दाम
✅ कंपनी द्वारा फसल की खरीदी की गारंटी
✅ समय पर पेमेंट

इन्हीं कारणों से किसान भाई नुकसान से बचते हैं और प्रॉफिट सुनिश्चित होता है।


आर्थिक परिवर्तन: मिट्टी के घर से मार्बल के मकानों तक

15 साल पहले मनौली गांव में कच्चे मकान थे और किसान कर्ज़ में दबे रहते थे।
आज –

  • हर घर में पक्के, आलीशान मकान

  • कई परिवारों के पास 2–2 कारें

  • निरंतर फसल उत्पादन से सालभर आमदनी

मनौली अब हरियाणा का सबसे अमीर गांव कहलाता है।


शिमला मिर्च की खेती का बिज़नेस मॉडल

  • प्रति एकड़ पौधे: लगभग 9,000–10,000

  • उपज: 70 क्विंटल+ प्रति एकड़ (अच्छे मैनेजमेंट से)

  • बाजार भाव: ₹80–₹120 प्रति किलो (लाल/पीली मिर्च)

  • आमदनी: 1–1.5 लाख प्रति एकड़ प्रति सीज़न

  • निवेश: सरकार द्वारा 65–85% सब्सिडी उपलब्ध


खेती की प्रक्रिया (स्टेप बाय स्टेप)

  1. सोलराइजेशन – गर्मियों में पन्नी ढककर ज़मीन कीटमुक्त करना

  2. नर्सरी – 50 दिन में पौध तैयार (सरकारी/प्राइवेट पॉलीहाउस से)

  3. बेसल डोज और बेड प्रिपरेशन – खाद व पोषण देना

  4. ट्रांसप्लांटेशन – पौध से पौध 50cm दूरी

  5. ड्रिप इरिगेशन और न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट

  6. तुड़ाई – हर 7–15 दिन में फसल की कटाई


सरकारी योजनाएं और सब्सिडी

  • ड्रिप इरिगेशन: 85% सब्सिडी (हरियाणा सरकार)

  • पॉलीहाउस निर्माण: 65% सब्सिडी

  • नर्सरी पौध खरीद: सरकारी रिसर्च सेंटर (जैसे घरौंदा, करनाल) से उपलब्ध


निष्कर्ष

मनौली गांव का उदाहरण बताता है कि अगर किसान वैज्ञानिक तकनीक, पॉलीहाउस खेती और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को अपनाएं तो खेती घाटे का सौदा नहीं बल्कि करोड़ों का बिजनेस बन सकती है।

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