ज्वेलरी कंपनियों का IPO

ज्वेलरी कंपनियों का IPO: अगले 6 महीनों में 10 बड़े पब्लिक इश्यू

देश का ज्वेलरी रिटेल सेक्टर इन दिनों पूंजी बाज़ार में नई चमक बिखेरने की तैयारी में है। आने वाले 3 से 6 महीनों में कम से कम 10 ज्वेलरी कंपनियां अपने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लाने की योजना बना रही हैं।
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, बैंक फाइनेंसिंग में कठिनाई, ऊंचे वैल्यूएशन और मजबूत IPO मार्केट इसके पीछे के मुख्य कारण हैं।


पहले से कतार में खड़े बड़े नाम

कुछ जानी-मानी कंपनियों ने पहले ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) में ड्राफ्ट दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • PNGS रेव़ा डायमंड ज्वेलरी – PN गाडगिल एंड सन्स समर्थित

  • ललिता ज्वेलरी मार्ट – चेन्नई स्थित

  • प्रायोरिटी ज्वेल्स – मुंबई की ज्वेलरी निर्माता कंपनी

सूत्रों के अनुसार, PNGS रेव़ा करीब ₹450 करोड़ जुटाने की योजना में है, जबकि बाकी कंपनियां ₹1,000 करोड़ से ₹5,000 करोड़ तक का फंड उठाने की तैयारी कर रही हैं।


जल्द दस्तक देने वाले अन्य खिलाड़ी

मार्केट सूत्रों के अनुसार, जिन अन्य नामों के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) आने की उम्मीद है, उनमें शामिल हैं:

  • रिद्धिसिद्धि बुलियन्स लिमिटेड (RSBL)

  • नागपुर स्थित रोकडे ज्वेलर्स

  • शंकेश ज्वेलर्स

  • स्वर्णशिल्प चेन्स एंड ज्वेलर्स

  • रॉयल चेन्स

  • वामन हरि पाठी

इन कंपनियों ने इस पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है।


IPO की ओर क्यों झुकाव?

भवेश शाह, मैनेजिंग डायरेक्टर और हेड – इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, इक्विरस कैपिटल का कहना है,

“ज्वेलरी कंपनियां उपभोक्ता सेक्टर की कुछ गिनी-चुनी श्रेणियों में से हैं, जो इस सुस्त बाजार में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।”

उनके मुताबिक, निवेशक अब क्षेत्रीय ब्रांड्स में भी पैसा लगाने को तैयार हैं, बशर्ते वे पहले अच्छे रिटर्न दे चुके हों। यही रुझान कंपनियों को IPO लाने के लिए प्रेरित कर रहा है।


ब्लूस्टोन ने बढ़ाया उत्साह

ब्लूस्टोन ज्वेलरी एंड लाइफस्टाइल का ₹820 करोड़ का IPO 11 अगस्त से खुल चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका प्रदर्शन बाकी कंपनियों के लिए बाजार का रुख तय करेगा।


बैंक फाइनेंसिंग में मुश्किलें

राजेश रोकडे, प्रमोटर – रोकडे ज्वेलर्स और चेयरमैन – ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (GJC) के अनुसार,

“ज्वेलरी उद्योग जो कभी ज्यादातर असंगठित था, अब व्यवस्थित हो रहा है। इसके बावजूद पारंपरिक वित्तपोषण तक पहुंच अभी भी कई खिलाड़ियों के लिए चुनौती बनी हुई है।”

गोल्ड और डायमंड जैसी महंगी इन्वेंट्री, जिनकी कीमतें लगातार बदलती हैं और जो नियामकीय जांच के दायरे में रहती हैं, बैंकों को सतर्क बनाती हैं। ऐसे में IPO कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने और विस्तार करने का एक भरोसेमंद विकल्प बन रहा है।


💡 निष्कर्ष:
मजबूत निवेशक विश्वास, ऊंची वैल्यूएशन और विस्तार की चाहत—इन तीनों के मेल से आने वाले महीनों में भारत के ज्वेलरी ब्रांड्स का IPO बाज़ार पहले से कहीं ज्यादा चमक सकता है।

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