ग्रेटर इज़राइल

क्या है ‘ग्रेटर इज़राइल’ की विवादित थ्योरी? पूरी कहानी धार्मिक ग्रंथों से राजनीति तक

फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच दशकों से चल रहे विवाद में “ग्रेटर इज़राइल” की थ्योरी एक अहम मुद्दा है। यह थ्योरी धार्मिक मान्यताओं, ऐतिहासिक घटनाओं और आधुनिक राजनीति के मिश्रण से बनी है। इस आर्टिकल में हम यासिर अरफात के संयुक्त राष्ट्र भाषण से लेकर थिओडोर हर्ज़ल की जियोनिस्ट मूवमेंट तक और मौजूदा इज़राइली कब्ज़ों तक की पूरी कहानी जानेंगे।


यासिर अरफात का 1990 का UN भाषण

  • तारीख: 25 मई 1990, जिनेवा

  • पृष्ठभूमि: अरफात अमेरिका में प्रतिबंधित थे, इसलिए UN सुरक्षा परिषद की बैठक न्यूयॉर्क से जिनेवा शिफ्ट हुई।

  • भाषण के मुख्य बिंदु:

    • इज़राइल पर गाजा और वेस्ट बैंक के अवैध कब्जे का आरोप

    • UN से नई जांच टीम भेजने की मांग

    • “10 एगोरा” इज़राइली सिक्के में ग्रेटर इज़राइल का नक्शा दिखाना

    • दावा कि इस नक्शे में सऊदी अरब, लेबनान, सीरिया और मिस्र के हिस्से शामिल हैं


ग्रेटर इज़राइल का धार्मिक आधार

हिब्रू बाइबल के रेफरेंस

  1. बुक ऑफ जेनेसिस (अध्याय 15) – ईश्वर ने इब्राहिम से वादा किया कि उनकी संतानों की भूमि नील नदी (मिस्र) से फरात नदी (इराक) तक होगी।

  2. बुक ऑफ एग्जोडस (अध्याय 23) – सीमाएं लाल सागर से भूमध्य सागर और रेगिस्तान से फरात नदी तक बताई गईं।

इन रेफरेंस के आधार पर कुछ ऑर्थोडॉक्स यहूदी मानते हैं कि ग्रेटर इज़राइल में सीरिया, लेबनान, जॉर्डन, मिस्र और इराक के हिस्से आने चाहिए। कुछ स्कॉलर सऊदी अरब के मदीना को भी इसमें शामिल मानते हैं।


थिओडोर हर्ज़ल और जियोनिस्ट मूवमेंट

पृष्ठभूमि

  • थिओडोर हर्ज़ल – हंगरी मूल के यहूदी पत्रकार

  • यूरोप में यहूदियों के प्रति नफरत (एंटीसेमिटिज्म) से प्रभावित होकर एक यहूदी राष्ट्र का विचार

  • 1896 में The Jewish State नामक किताब प्रकाशित – जिसमें फिलिस्तीन में यहूदी बस्तियां बसाने का प्रस्ताव

जियोनिस्ट कांग्रेस

  • 1897 – स्विट्जरलैंड में पहली जियोनिस्ट कांग्रेस

  • वर्ल्ड जियोनिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (WZO) की स्थापना

  • फिलिस्तीन को ही यहूदी राष्ट्र का स्थान चुना गया, प्रॉमिस्ड लैंड की धार्मिक धारणा के कारण


ब्रिटिश मैनडेट से इज़राइल की स्थापना तक

  1. 1918 – ब्रिटेन ने फिलिस्तीन का मैनडेट लिया

  2. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप से यहूदियों का बड़े पैमाने पर फिलिस्तीन आगमन

  3. 1947 UN पार्टिशन प्लान

    • 45% भूमि इज़राइल को

    • 55% भूमि फिलिस्तीन को

  4. अरब देशों ने प्लान अस्वीकार किया, यहूदियों ने स्वीकार किया

  5. 14 मई 1948 – डेविड बेन-गुरियन ने इज़राइल की स्वतंत्रता की घोषणा

  6. अरब-इज़राइल युद्ध और इज़राइल की सैन्य जीत


इज़राइल के कब्ज़े का विस्तार

युद्ध के जरिए

  • 1948 अरब-इज़राइल युद्ध – फिलिस्तीन की अतिरिक्त भूमि पर कब्ज़ा

  • 1967 सिक्स डे वॉर – वेस्ट बैंक, गाजा, गोलन हाइट्स, सिनाई पर कब्ज़ा

  • 1973 यॉम किप्पुर वॉर – कब्ज़े का और विस्तार

अवैध बस्तियां (Illegal Settlements)

  • फिलिस्तीनी जमीन पर यहूदी बस्तियों का निर्माण

  • अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार अवैध

  • मौजूदा समय में 200 से अधिक बस्तियां, जिनमें 7.5 लाख से अधिक यहूदी रहते हैं


मौजूदा स्थिति (2025)

  • वेस्ट बैंक – जुलाई 2025 में इज़राइल ने कब्ज़े की मंजूरी दी

  • गाजा – अगस्त 2025 में नितिन्याहू ने कब्ज़े का प्लान घोषित किया

  • गोलन हाइट्स – 1967 से इज़राइल के नियंत्रण में

  • सीरिया में घुसपैठ – दिसंबर 2024 के बाद बढ़ी


येरुशलम का धार्मिक महत्व

  • मुस्लिम: मस्जिद अल-अक्सा – तीसरी सबसे पवित्र जगह

  • यहूदी: वेस्टर्न वॉल – सोलोमन के मंदिर का अवशेष

  • ईसाई: चर्च ऑफ द होली सेपलकर – जीसस क्राइस्ट से जुड़ी मान्यता


निष्कर्ष

ग्रेटर इज़राइल की थ्योरी धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक सभी पहलुओं से जुड़ी है। कुछ के लिए यह प्रॉमिस्ड लैंड का धार्मिक सपना है, तो कुछ के लिए यह क्षेत्रीय विस्तार की राजनीतिक रणनीति। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, फिलिस्तीनी भूमि पर अवैध कब्ज़ा और बस्तियां आज भी विवाद का सबसे बड़ा कारण हैं।

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