हर साल 7 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे मनाया जाता है, ताकि भारत की समृद्ध वस्त्र परंपरा और उन कारीगरों को सम्मान दिया जा सके, जो इसे जीवित रखे हुए हैं। यह दिन 1905 में शुरू हुए स्वदेशी आंदोलन की याद दिलाता है, जब देश ने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार कर स्वदेशी हथकरघों को अपनाने का संकल्प लिया था।
भारतीय हैंडलूम सिर्फ कपड़े नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और पहचान की बुनाई हैं। रॉयल सिल्क से लेकर टिकाऊ कॉटन तक, भारत की ये 8 पारंपरिक बुनाइयां आज भी दुनिया भर में सराही जाती हैं।
1. कांजीवरम (तमिलनाडु)
जानी जाती हैं: रेशमी बनावट, मंदिरों की आकृति और गहरे रंगों के मेल के लिए।
“सिल्क की रानी” कही जाने वाली कांजीवरम साड़ियाँ दक्षिण भारत की शादियों और त्योहारों की जान मानी जाती हैं।
2. बनारसी (उत्तर प्रदेश)
जानी जाती हैं: बारीक ज़री कढ़ाई और मुगलकालीन डिज़ाइनों के लिए।
वाराणसी की ये साड़ियाँ फूलों, पत्तों और जालीदार डिज़ाइन के साथ किसी भी भव्य अवसर के लिए परफेक्ट हैं।
3. चंदेरी (मध्य प्रदेश)
जानी जाती हैं: हल्के और पारदर्शी कपड़े पर पारंपरिक बूटी डिज़ाइनों के लिए।
आराम और शालीनता का बेहतरीन मेल पेश करती है चंदेरी बुनाई, जो कैज़ुअल और फॉर्मल दोनों मौकों के लिए उपयुक्त है।
4. पोचमपल्ली इकत (तेलंगाना)
जानी जाती हैं: इकत डाई तकनीक से बने संतुलित डिज़ाइनों के लिए।
GI टैग प्राप्त यह डिज़ाइन अपनी सटीकता और परंपरागत बुनाई तकनीक के लिए प्रसिद्ध है।
5. पटोला (गुजरात)
जानी जाती हैं: डबल इकत बुनाई और ज्यामितीय डिज़ाइनों के लिए।
कभी सिर्फ राजघरानों के लिए बनी पटोला साड़ियाँ अब विश्वभर में कलेक्टर्स की पसंद बन चुकी हैं।
6. बलुचरी (पश्चिम बंगाल)
जानी जाती हैं: पल्लू पर दर्शाए गए पौराणिक कथाओं के चित्रों के लिए।
इन्हें “पहनने योग्य महाकाव्य” कहा जाता है जो बंगाल की कलात्मकता को दर्शाती हैं।
7. मूगा सिल्क (असम)
जानी जाती हैं: नैसर्गिक सुनहरा चमक और दीर्घायु के लिए।
असम की खासियत मूगा सिल्क साड़ियाँ विरासत के तौर पर अगली पीढ़ियों को सौंपी जाती हैं।
8. ईलकल (कर्नाटक)
जानी जाती हैं: पारंपरिक लाल बॉर्डर और ‘टोपे टेनी’ बुनाई तकनीक के लिए।
कॉटन और सिल्क के मेल से बनी ये साड़ियाँ रोज़मर्रा और त्योहार दोनों के लिए एक शानदार विकल्प हैं।
हैंडलूम सिर्फ फैशन नहीं, एक आंदोलन है
भारतीय हैंडलूम ना सिर्फ सस्टेनेबिलिटी का प्रतीक हैं, बल्कि कारीगरों के सशक्तिकरण का भी उदाहरण हैं। जब आप एक हैंडलूम वस्त्र चुनते हैं, तो आप केवल कपड़ा नहीं, बल्कि एक विरासत खरीदते हैं और हजारों परिवारों को आर्थिक संबल प्रदान करते हैं।
आप क्या कर सकते हैं?
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हैंडलूम वस्त्रों को प्राथमिकता दें
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लोकल बुनकरों को सपोर्ट करें
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इस नेशनल हैंडलूम डे पर एक हैंडलूम उत्पाद जरूर खरीदें
भारत की विविधता उसके बुनाई में झलकती है — आइए इसे पहचानें, अपनाएं और गर्व करें।