मध्य प्रदेश के भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक और उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म मामले की फिर से जांच होगी।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के पिछले आदेश को निरस्त कर दिया है।
➡ हाईकोर्ट ने 2 दिसंबर 2024 को जांच पर रोक लगा दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वह रोक हटाते हुए नई जांच की अनुमति दी है।
➡ कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि हेमंत कटारे जांच में सहयोग करते हैं, तो उन्हें तत्काल गिरफ्तार न किया जाए।
➡ राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
📅 क्या था पूरा मामला?
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जनवरी 2018 में एक पत्रकारिता की छात्रा ने हेमंत कटारे पर गंभीर आरोप लगाए:
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अपहरण
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दुष्कर्म
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जान से मारने की धमकी
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कटारे की ओर से छात्रा पर ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज हुआ।
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कुछ ही महीनों में छात्रा ने अपने आरोपों को झूठा बताया, जिससे यह केस चर्चा में आ गया।
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह केस फिर से राजनीतिक और कानूनी बहस का केंद्र बन गया है।
🗣️ हेमंत कटारे का बयान: “मेरे खिलाफ रची गई राजनीतिक साजिश”
हेमंत कटारे ने मीडिया से बातचीत में इस केस को एक गहरी राजनीतिक साजिश करार दिया।
“मैंने विधानसभा में कई घोटालों को उजागर किया—चाहे वह नर्सिंग घोटाला हो या जल जीवन मिशन—इसलिए मुझे फंसाया जा रहा है।” — हेमंत कटारे
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि:
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भाजपा नेता महिलाओं की आड़ में राजनीति कर रहे हैं।
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यह साजिश उन्हें जनता की अदालत में बदनाम करने की चाल है।
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उन्होंने पहले ही हाईकोर्ट में जीत दर्ज की है और अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय की उम्मीद है।
🔎 इस केस की राजनीतिक पृष्ठभूमि क्यों है ज़रूरी?
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हेमंत कटारे प्रदेश कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण नेता हैं।
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यह केस ऐसे समय पर फिर से चर्चा में आया है जब प्रदेश में चुनावी माहौल गरम है।
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इससे भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा राजनीतिक टकराव एक बार फिर सतह पर आ गया है।
📌 निष्कर्ष: आगे क्या होगा?
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह स्पष्ट है कि केस की दोबारा जांच होगी।
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हेमंत कटारे को फिलहाल राहत, लेकिन उन्हें जांच में पूरा सहयोग करना होगा।
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यह केस आने वाले समय में मध्य प्रदेश की राजनीति को और गर्मा सकता है।