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2018 से 2023 के बीच 62.75 लाख बेरोजगारों ने कराया पंजीकरण
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2018 में थे 26.82 लाख पंजीकृत, जो 2023 में बढ़कर हुए 33.13 लाख
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जून 2025 में आंकड़ा घटकर रह गया 25.68 लाख
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रोजगार योजना में प्लेसमेंट घोटाले का खुलासा
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‘बेरोजगार’ की जगह ‘आकांक्षी युवा’ शब्द का इस्तेमाल
पिछले 7 वर्षों में बेरोजगारी का ट्रेंड
मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 से लेकर जून 2023 तक बेरोजगारी के आंकड़े तेजी से बढ़े। इस अवधि में 62 लाख 75 हजार युवाओं ने राज्य के रोजगार कार्यालयों में पंजीकरण कराया।
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2018 में: 26.82 लाख बेरोजगार पंजीकृत
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2023 में: संख्या बढ़कर हुई 33.13 लाख
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जून 2025 में: गिरावट के साथ घटकर हुई 25.68 लाख
यह जानकारी कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री गौतम टेटवाल ने विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल के लिखित उत्तर में दी।
🧾 ‘बेरोजगार’ नहीं, अब ‘आकांक्षी युवा’ क्यों?
विधायक प्रताप ग्रेवाल ने सवाल उठाया कि अब बेरोजगार युवाओं को ‘बेरोजगार’ न कहकर ‘आकांक्षी युवा’ क्यों कहा जा रहा है?
इस पर मंत्री ने बताया कि एमपी पोर्टल पर आवेदन करने वाले युवाओं को तकनीकी रूप से ‘बेरोजगार’ नहीं माना जाता, बल्कि केवल ‘पंजीकृत आवेदक’ के रूप में चिन्हित किया गया है। इसलिए उन्हें ‘आकांक्षी युवा’ कहा जाता है।
⚠️ रोजगार योजना में गड़बड़ी: प्लेसमेंट में हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा
यशस्वी अकादमी फॉर टैलेंट मैनेजमेंट, पुणे ने 2021 में मध्य प्रदेश सरकार के साथ एक अनुबंध किया था। इस अनुबंध के तहत संस्था को 25,000 युवाओं को रोजगार दिलाने का वादा करना था।
लेकिन क्या हुआ असल में?
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कंपनी ने 11,680 युवाओं की प्लेसमेंट सूची सरकार को सौंपी
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जांच में सिर्फ 4,433 युवाओं की जानकारी सही पाई गई
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बाकी नाम या तो गलत थे या दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई गई
इस घोटाले के बावजूद कंपनी को ₹4.17 करोड़ की आंशिक राशि भुगतान की गई।
👉 हैरानी की बात यह है कि अनुबंध में पेनल्टी लगाने का कोई प्रावधान नहीं था। यानी कंपनी की गलती पर भी कोई दंड नहीं लगाया जा सका।
📉 क्या कहता है ये ट्रेंड?
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2018-2023 के बीच रोजगार पाने के लिए युवाओं में पंजीकरण की होड़ दिखी।
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लेकिन 2025 तक आंकड़ों में गिरावट यह संकेत देती है कि या तो युवाओं का भरोसा इन योजनाओं से कम हुआ है, या फिर वे अन्य विकल्प तलाश रहे हैं।
🧠 पाठकों के लिए सोचने योग्य बातें
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क्या ‘आकांक्षी युवा’ शब्द महज एक छवि सुधारने का प्रयास है?
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क्या रोजगार देने वाली निजी संस्थाओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए?
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क्या बेरोजगारी घटने का ये आंकड़ा जमीनी सच्चाई को दर्शाता है?